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Saturday, September 28, 2024
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हरियाणा में छुपा है इतिहास का रहस्य, इन जगहों पर आज भी मौजूद है निशान

हर राज्य में घूमने के लिए कोई ना कोई प्रसिद्ध जगह होती है. राज्य उन राज्यों के शहर कई फेमस प्लेसेस की वजह से टूरिज्म का अट्रैक्शन पॉइंट बने हुए हैं. ऐसा ही एक राज्य है हरियाणा (Haryana) जिसकी ऐतिहासिक जगहें विश्वभर में फेमस हैं. पानीपत (Panipat), हिसार (Hisar), रोहतक (Rohtak) आदि शहरों में कई ऐसी इमारतें किले हैं जों आज भी इतिहास को समेटे हुए हैं. आज हम आपको हरियाणा की उन्हीं फेमस जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कभी इतिहास का हिस्सा रह चुकी हैं आज के टाइम में हरियाणा में मेन टूरिज्म पॉइंट बनी हुई हैं.

1. गुजरी महल
हरियाणा के हिसार में मौजूद गुजरी महल एक प्राचीन प्रमुख ऐतिहासिक जगह है. इस महल का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने करवाया था. ये जगह भी प्रेम की निशानी ही है, क्योंकि फिरोजशाह तुगलक ने अपनी प्रेमिका गुजरी के लिए इस महल का निर्माण करवाया था. 675 साल पहले 1354 में बनाया गया फिरोजशाह का किला यानि गुजरी महल बहुत ही खास है. किले का 80 फुट लंबा तथा इक्कीस फुट चौड़ा दीवान-ए-आम भी आकर्षण का केंद्र रहा है. इसके नीचे मौजूद चालीस खंभे इसे भी खूबसूरत ग्रैंड बनाते हैं. यह महल एक लार्ज रेक्टंगुलर प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ा है.

2. मटिया किला
मटिया महल हरियाणा के पलवल में मौजूद है. इस किले के अंदर कई मकबरे हैं. पलवल में घूमने के लिए यह एक अच्छी जगह है. मुगल काल में पलवल में मटिया किला बनवाया गया था लेकिन अब यह किला फ़िलहाल खंडहर में बदल चुका है. लेकिन इसके बाद भी ये आज भी पलवल का एक फेमस टूरिस्ट प्लेस है. शेरशाह सूरी के समय में पलवल तहसील के ग्राम बुलवाना में बनवाई गई मीनार ग्राम अमरपुर में 150 वर्ष पुराना गोल मकबरा अफगान कला का इनफॉर्मर है. इस तहसील के ग्राम जैनपुर में पक्की ईंटों से बना एक तालाब भी है.

3. कोस मीनार
कोस मीनार ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है. मुगलकालीन कोस मीनार का निर्माण शेरशाह सूरी ने करवाया था. कोस मीनार की ऊंचाई 30 फीट है. इसके गोला‌र्द्ध में 24 चौकोर खाने हैं. हर तीन किलोमीटर पर एक मीनार स्थापित है. मीनार की वजह से ही यात्रियों को रास्ता पहचानने व दूरी नापने में मदद मिलती है.

4. जल महल
हरियाणा के नारनौल जिले में मौजूद जल महल ऐतिहासिक महल है. इस महल का निर्माण शाह कुली खान ने सन 1591 में करवाया गया था. पानीपत के दूसरे युद्ध के बाद इस महल का निर्माण किया गया था. जैसा कि नाम से पता चलता है जल महल चारों ओर से जल से घिरा हुआ है. यह स्मारक इंडियन पर्शियन स्टाइल के आर्किटेक्चर को दर्शाती है. यह पानी के कुंड के बीच में मौजूद है जो अब सूख चुका है. नार्थ साइड की तरफ एक सेतु है जिसका एंट्री गेट धनुषाकार है जो सीधे कुंड में खुलता है. मुख्य इमारत के बाहर चार मीनारें हैं इन सभी में ऊपर जाने के लिए सीढियां हैं.

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