teensexonline.com
Saturday, September 28, 2024
No menu items!
HomeLifestyleHealthलंबे 'वर्किंग ऑवर्स' जानलेवा साबिक हो रहे, WHO के रिसर्च में हुआ...

लंबे ‘वर्किंग ऑवर्स’ जानलेवा साबिक हो रहे, WHO के रिसर्च में हुआ सनसनीखेज खुलासा

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि प्रति सप्ताह 55 घंटे या उससे ज्यादा काम करने के गंभीर स्वास्थ्य खतरे हैं. 2016 में लंबे कामकाज के घंटे से संबंधित दिल की बीमारी और स्ट्रोक के कारण 745,000 लोगों की मौत हुई. चौंकानेवाला खुलासा विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संयुक्त रिसर्च में हुआ है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि देर तक काम के घंटे एक साल में हजारों लोगों की जिंदगी छीन रहे हैं और कोरोना वायरस महामारी के कारण रुझान और भी बढ़ सकता है. रिसर्च के मुताबिक 2016 में लंबे समय तक कामकाज से संबंधित दिल की बीमारी और स्ट्रोक के कारण 745,000 लोगों की मौत हुई. पहले वैश्विक रिसर्च से खुलासा हुआ है कि दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाले सबसे ज्यादा प्रभावित थे.

लंबे समय तक काम के घंटे बन रहे हैं जानलेवा

विश्व स्वास्थ्य संगठन परिभाषित क्षेत्र में चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. WHO के तहत पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की डायरेक्टर मारिया नियारा ने कहा, “प्रति सप्ताह 55 घंटे या ज्यादा काम करने के गंभीर स्वास्थ्य खतरे हैं. हम चाहते हैं कि इस जानकारी के साथ कर्मचारियों की ज्यादा सुरक्षा और अधिक कार्रवाई को बढ़ावा मिले.” रिसर्च को संयुक्त रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने अंजाम दिया है. संयुक्त रिसर्च से पता चला कि अधिकतर पीड़ित (72 फीसद) पुरुष और मध्य उम्र या उम्रदराज थे. अक्सर मौत बहुत साल बाद हुई, कभी-कभी दशकों बाद. शोधकर्ताओं ने 194 देशों के डेटा के आधार पर नतीजा निकाला.

WHO के रिसर्च में सनसनीखेज खुलासा

इनवायरेनमेंट इंटरनेशनल पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया कि एक सप्ताह में 35-40 घंटे के मुकाबले 55 घंटे या उससे ज्यादा काम का संबंध स्ट्रोक के 35 फीसद अधिक खतरे से है और इस्केमिक दिल के रोग से मौत का 17 फीसद अधिक खतरा है. रिसर्च में 2000-2016 की अवधि के डेटा का मूल्यांकन किया गया और कोरोना वायरस महामारी को शामिल नहीं किया गया, लेकिन WHO के अधिकारियों ने कहा कि कोरोना वायरस आपातकालीन के नतीजे में रिमोट वर्किंग में उछाल और वैश्विक आर्थिक सुस्ती खतरे को बढ़ा सकते हैं.

टेड्रोस अधानोम घेब्रेरियेसेस समेत WHO का कहना है कि महामारी काल में देर तक वो काम कर रहे हैं, वहीं नियारा ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ रिसर्च के संदर्भ में अपनी नीति को सुधार करना चाहेगी. WHO के तकनीकी अधिकारी प्रैंक पेगा ने कहा कि घंटों का निर्धारण कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि उससे कर्मचारियों की उत्पादकता में बढ़ोतरी देखी गई है. उन्होंने कहा, “आर्थिक संकट में लंबे समय तक काम के घंटे को नहीं बढ़ाना वास्तव में स्मार्ट पसंद है.”

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments