फिल्म ‘शोले’ पर्दे पर देखने पर जितनी चटपटी लगती है इसके बनने की कहानी भी उससे कम मजेदार नहीं है। अपने बनने से पहले शोले फिल्म अपनी स्टारकॉस्ट के चयन की वजहों से भी चर्चा में आ गयी थी।
‘शोले’ फिल्म की पटकथा सलीम-जावेद ने लिखी है। पटकथा लिखते समय यह तय नहीं हुआ था कि कौन सा किरदार कौन करेगा। पटकथा पूरी होने के बाद फिल्म निर्देशक रमेश सिप्पी ने सबसे पहले संजीव कुमार और अमिताभ बच्चन को कास्ट किया।
स्क्रिप्ट सुनने के बाद इन दोनों ही कलाकारों को अपना नहीं बल्कि गब्बर का चरित्र रास आ रहा था। इन दोनों ही कलाकारों ने बारी-बारी से गब्बर वाला किरदार करने की चाहत दिखायी। उस समय फिल्म के लिए गब्बर का चुनाव नहीं हुआ था।
रमेश शिप्पी ने बातों ही बातों में इन दोनों को साफ कर दिया कि उनकी निगाह में फिल्म का गब्बर कोई और है। डैनी डैनजप्पा उस समय शीर्ष खलनायक थे। गब्बर की यह भूमिका उन्हें ऑफर की गई।
डैनी को यह भूमिका अच्छी लगी और उन्होंने इस रोल को करने के लिए हामी भर दी। कुछ समय के बाद पता नहीं डैनी को क्या सूझा उन्होंने तारीखों की समस्या बताते हुए यह रोल करने से मना कर दिया।
गब्बर की तलाश फिर से शुरू हो गई। किसी ने रमेश सिप्पी को अमजद खान का नाम सुझाया। अमजद उस समय फिल्मों में सक्रिय नहीं हुए थे। वह थिएटर कर रहे थे। हालांकि उन्हें एक छोटे बजट की फिल्म ‘लव एंड गॉड’ मिल गई थी। पर इस फिल्म का निर्माण होना अभी शुरू नहीं हुआ था। अमजद ने यह भूमिका करनी स्वीकार कर ली।
गब्बर के चुनाव के बाद बसंती के चुनाव हुआ। बसंती को चुनने में कोई खास दिक्कत नहीं हुई। रमेश सिप्पी ने पहले से मन बना लिया था कि वह इस भूमिका के लिए वह हेमा मालिनी को ही लेंगे। हेमा इसके लिए राजी भी हो गईं।
अब फिल्म के वीरू की तलाश थी। इस भूमिका के लिए धर्मेंद्र से बात की गई। पटकथा सुनने के बाद धर्मेंद्र को वीरू के बजाय ठाकुर वाली भूमिका रास आई। ठाकुर वाली भूमिका के लिए संजीव कुमार फाइनल हो चुके थे। धर्मेंद्र इस बात पर अड़े रहे कि वह ठाकुर की भूमिका करना चाहते हैं।
रमेश सिप्पी ने एक ट्रिक यहां चली। रमेश सिप्पी ने कहा कि यदि तुम्हें ठाकुर वाली भूमिका दी गई तो वीरू वाली भूमिका संजीव कुमार करेंगे। यह नया प्रस्ताव सुनते ही धर्मेंद्र चुपचाप वीरू वाली भूमिका के लिए राजी हो गए। धर्मेंद्र नहीं चाहते थे कि संजीव कुमार और हेमा मालिनी के बीच किसी भी तरह की जोड़ी बने।
धर्मेद्र उन दिनों हेमा की मोहब्बत में थे। इंडस्ट्री संजीव कुमार को भी हेमा का प्रेमी मान रही थी। धर्मेद्र के फाइनल करते ही फिल्म शूटिंग शुरू हो गई। इस फिल्म का हर चरित्र एक तरह का लीजेंड आज भी जिंदा है।