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Tuesday, October 1, 2024
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अपने फेफड़ों को प्रदूषण की मार से बचाने के लिए आजमाएं ये उपाय

प्रदूषण के कण बेहद छोटे होते हैं, लेकिन ये हमारे फेफड़ों के लिए दुश्मन की तरह होते हैं और उन्हें बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं. दिल्ली-एनसीआर के लोग बीते कुछ दिनों से लगातार प्रदूषण की मार झेल रहे हैं. वहां की वायु गुणवत्ता काफी खराब हो गई है. आसमान में धुंध की चादर की नजर आने लगी है. इसे लोग स्मॉग कहकर बुलाते हैं.

हवा में घुले प्रदूषण के ये अतिसूक्ष्म कण फेफड़ों के लिए जहर की तरह है. ये कण सांस के जरिए से हमारे शरीर और आंतों के अंदर प्रवेश कर जाते हैं. ऐसे में ये फेफड़े, किडनी, लिवर, नर्वस सिस्टम, आंखों, बाल, त्वचा आदि शरीर के तमाम हिस्सों को प्रभावित करते हैं. इनसे बचाव करना बहुत जरूरी है, वरना सेहत को लेकर बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. यहां सरल भाषा में समझिए क्या है स्मॉग और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है.

 

स्मॉग को समझिए

स्मॉग आज की नई पीढ़ी द्वारा निकाला गया एक शब्द है. सामान्य भाषा में इसे धुंध कहते हैं. दरअसल जब वायुमंडल में प्रदूषण के बारीक कण चिपक जाते हैं तो वातावरण में धुंध सी नजर आने लगती है. इसे ही स्मॉग कहा जाता है. स्मॉग पटाखों के धुएं, कोयले को जलाने, पराली जलाने, औद्योगिक ईकाइयों से उत्सर्जन, गाड़ियों से निकलने वाला धुएं आदि तमाम कारणों से हो सकता है. स्मॉग में प्रदूषण के अतिसूक्ष्म कण पाए जाते हैं जो वायुमंडल में तरल या ठोस किसी भी रूप में हो सकते हैं. इन अतिसूक्ष्म कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम भी हो सकता है. इन्हें खुली आंखों से देख पाना असंभव होता है. जब इन कणों की संख्या तय सीमा से अधिक हो जाती है तो ये वातावरण में धुंध के रूप में नजर आने लगते हैं. ऐसे में ये हमारे फेफड़ों, किडनी, लिवर, आंखों आदि तमाम अंगों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं.

ऐसे करें बचाव

1. स्मॉग के दौरान घर से बाहर घूमने के लिए न निकलें. यदि निकलना पड़ रहा है तो मास्क का प्रयोग जरूर करें या कपड़े से मुंह कवर करें. लेकिन कपड़े को दो परतों में प्रयोग करें.

2. सुबह की सैर पर जाने से बचें. यदि जाना भी है तो देर से निकलें और खाली पेट न जाएं. साथ ही मुंह और नाक अच्छे से कवर करके निकलें.

3. बाहर निकलते समय आंखों में चश्मा पहनें और बाहर से आने के बाद आंखों को ठंडे और साफ पानी से अच्छी तरह साफ करें.

4. घर के अंदर और आसपास तुलसी और मनीप्लांट आदि पौधे लगाएं जो वातावरण की शुद्धि का काम करते हैं.

5. शरीर में पानी की कमी न होने दें. पानी खूब पिएं. गुड़ का सेवन करें.

6. घर में योग और एक्सरसाइज करें. इससे आपके शरीर के तमाम अंगों का शुद्धिकरण हो जाएगा. लेकिन एक्सरसाइज खुले स्थान पर न करें, घर के अंदर ही करें.

7. हरी सब्जियां और फल प्रचुर मात्रा में खाएं, लेकिन इन्हें खाने से पहले अच्छी तरह से धोएं.

8. अस्थमा या सांस के मरीज हैं तो घर से बाहर निकलने से पूरी तरह बचें. यदि किसी कारणवश निकलना पड़ रहा है तो चेहरे को मास्क से कवर करें और इन्हेलर को पास में रखें.

9. पॉलिथिन, कचरा आदि को जलाना बंद करें. घर के आसपास अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करें.

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