Sunday, December 22, 2024
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अफीम खेती का गढ़ माने जाने वाले खूंटी में भी हो रही है ड्रैगनफ्रूट की खेती, युवा बन रहे किसान

एक दशक पहले तक झारखंड के खूंटी जिले में नक्सलवाद हावी था. बड़े पैमाने पर युवक युवतियां यहां से पलायन करते थे. पर अब परिस्थियां बदल रही हैं. इसे बदलने में कृषि एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. क्योंकि आज कई युवा बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं. इतना ही नहीं वो पारंपरिक खेती से हटकर भी नये प्रयोग कर रहे हैं और अपने जीवन के आसान बना रहे हैं. खूंटी जिला के हेडगुआ गांव के रहने वाले युवा किसान जुरन सिंह मुंडा भी उन्हीं युवाओं में से एक हैं जिन्होंने खेती को रोजगार के विकल्प के तौर पर चुना और आज परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं.

बदलते वक्त के साथ जीवन में आया सुधार

जुरन सिंह मुंडा ने फिलहाल अपने एक एकड़ जमीन में ड्रैगन फ्रूट की खेती की है. पूछने पर बताते हैं कि रांची में रहने वाले उनके एक मित्र मनीष राज ने उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में बताया, साथ ही इसकी खेती करने में सहयोग किया और आज उनके खेत में ड्रैगन फ्रूट के पौधे तैयार है. अगले साल से पौधे फल देना शुरू कर देंगे. जुरन को भरोसा है कि उसके बाद उन्हें अच्छी कमाई होगी. जुरन बताते हैं कि उन्होंने और उनके परिवार ने वो दिन भी देखा है जब कई कई रात तक बिना खाना खाए उन्हें खाली पेट सोना पड़ता था. पर आज हालात में काफी सुधार हुआ है. सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने से गरीबों को राहत मिली है. आज जुरन सिंह के पास पक्का मकान है. घर में आधुनिक सुख सुविधाओं के तमाम संसाधन मौजूद है.

खेती को बनाया रोजगार का विकल्प

जुरन बताते हैं कि उनकां गांव पिछड़ा हुआ है. खुद के पास अधिक जमीन भी नहीं है, फिर भी उन्होंने खेती को विकल्प के तौर पर चुना. इसके बाद उन्होंने सफलता हासिल की. जुरन सिंह मुंडा टमाटर फूलगोभी के अलावा अन्य सब्जियों की भी खेती करते हैं. किसी भी फसल को लगाने से पहले उसके बारे में पूरी तरह से जानकारी हासिल करते हैं उसके बाद लगाते हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है.

जैविक खेती करते हैं जुरन सिंह मुंडा

जुरन सिंह के गांव में ऐसी जमीन हैं जहां पर रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं के बराबर हुआ है. इसलिए वो भी शुरुआत से ही जैविक खेती करते हैं. जैविक कीटनाशक और खाद खरीदते हैं. घर में जैविक खाद और कीटनाशक नहीं बना पाते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने 50 डिसमिल टमाटर की खेती की थी. दाम भी अच्छे मिले इससे उनकी कमाई अच्छी हुई है. साथ ही अभी लगभग एक एकड़ में टमाटर लगे हुए हैं.

नये प्रयोग के तौर पर लगाया ड्रैगन फ्रूट

ड्रैगन फ्रूट लगाने को लेकर उन्होंने बताया की आज सिर्फ पारंपरिक खेती पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है. इसलिए ड्रैगन फ्रूट एक बेहतर विकल्प हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि जिस तरह से खेती बारी से उनके जीवन में सुधार हुआ है वो चाहते हैं कि उनके खेत को देखकर और भी युवाओं के मन में खेती करने की इच्छा जगे और वो भी खेती से जुड़कर अपने लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण करें.

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