Thursday, November 7, 2024
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आखिर ट्रेन के पुराने डिब्बों का क्या करती है भारतीय रेल, सच्चाई जानकर सोच में पड़ जाएंगे आप

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि भारतीय रेल हमारे देश की लाइफलाइन है. रोजाना करोड़ों लोग भारतीय रेल की सेवाओं का लाभ उठाते हैं और समय पर अपने गंतव्य पर पहुंचते हैं. यात्रियों की सुविधाओं को देखते हुए भारतीय रेल समय के साथ-साथ काफी हाईटेक और सुविधाजनक होती जा रही है. इसी क्रम में लग्जरी ट्रेन, हाई स्पीड ट्रेन और सेमी हाई स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है. इसके साथ ही भारतीय रेल अपनी साधारण ट्रेनों में भी कई तरह के बदलाव कर रहा है. भारतीय रेल तेजी से मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के पुराने कोच को बदलकर नए कोच लगा रहा है. ट्रेनों में लगाए जा रहे ये नए कोच यात्रियों को बेहतर अनुभव के साथ-साथ बेहतर सफर भी मुहैया कर रहे हैं.

रेलवे की दशा बदलने पर काफी ध्यान दे रही है भारतीय रेल
मौजूदा समय में साधारण ICF कोच को LHB कोचों में तब्दील किया जा रहा है. इसके अलावा ICF डिब्बों को भी नए सिरे से मॉडिफाई किया जा रहा है. बीते कुछ सालों में भारतीय रेल ने कई ट्रेनों के सभी ICF कोच को LHB कोच के साथ रीप्लेस किया है और ये काम लगातार तेजी से चल रहा है. इसके साथ ही हाई स्पीड ट्रेनों में भी कई तरह के बदवाल किए जा रहे हैं और यात्रियों को बेहतर अनुभव देने के लिए जरूरी सुविधाओं में विस्तार किया जा रहा है. इतना ही नहीं, भारतीय रेल अपने रेलवे स्टेशनों को भी समय के साथ नया रूप दे रहा है. बीते कुछ सालों में देश के कई रेलवे स्टेशनों का भी विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ सौंदर्यीकरण किया गया है. जिसके बाद अब उनकी तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है.

रेल के पुराने डिब्बों का क्या करती है भारतीय रेल
यह एक बड़ा सवाल है और कई लोगों के मन में ये सवाल आता रहता है कि आखिर भारतीय रेल अपने पुराने डिब्बों का क्या करती है. सबसे पहले आपको ये बता दें कि भारतीय रेल के यात्री कोच की उम्र करीब 30 साल होती है. यानि ट्रेन का एक डिब्बा कम से कम 30 साल तक सेवाएं देता है. हालांकि, कई बार इसे और भी लंबे समय के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है. पूरी सेवाएं देने के बाद इन डिब्बों की लाइफ खत्म हो जाती है. ऐसे में भारतीय रेल इन डिब्बों को डंप करने के बजाए, इसका नए सिरे से इस्तेमाल करती है.

रेलवे कर्मचारियों के लिए बनाया गया कैंप कोच

भारतीय रेल अपने पुराने डिब्बों की बॉडी को मॉडिफाई करती है और फिर इसे एकदम नया कोच बनाने के बाद अलग-अलग ट्रेनों में इस्तेमाल करती है. इसके अलावा, पुराने डिब्बों को रेल कर्मचारियों के लिए अस्थाई घरों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. पुराने कोच में कर्मचारियों के लिए बनाए जाने वाले अस्थाई घरों को Camp Coach कहा जाता है. इतना ही नहीं, कोविड-19 के मौजूदा समय को देखते हुए भारतीय रेल इन पुराने डिब्बों को कोरोनावायरस मरीजों के लिए आइसोलेशन कोच के रूप में भी इस्तेमाल कर रही है.

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