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Wednesday, October 2, 2024
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इच्छा न होने पर भी होता रहता है ‘आनंद’ का अनुभव? हो सकती है ये बड़ी बीमारी

‘संबंध’ बनाने के बाद शरीर का ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो जाना और मसल्स का रिलेक्स होना सामान्य बात है. लेकिन अगर बिना ‘आनंद’ हासिल किए लगातार ऐसी फीलिंग आने लगे और प्राइवेट पार्ट में तनाव या सूजन रहने लगे तो समझ लीजिए कि आपको PAGD की बीमारी है. ऐसे में आपको तुरंत किसी एक्सपर्ट डॉक्टर को दिखाने की जरूरत होती है.

PAGD में शरीर में रहता है दर्द

डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक Persistent Genital Arousal Disorder explained यानी PAGD एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं. इस बीमारी में बिना पार्टनर से रिलेशन बनाए महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में लंबे समय तक गीलापन, वजाइना में सूजन, बटक और पैरों में दर्द होता है. महिला को समझ में नहीं आता कि उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है. वह इसी उधेड़बुन में उलझी रहती है और किसी बढ़िया डॉक्टर से संपर्क नहीं कर पाती.

पुरुष भी इस बीमारी से पीड़ित

रिपोर्ट के अनुसार, PAGD वैसे तो महिलाओं से जुड़ी बीमारी मानी जाती है लेकिन पुरुषों में इस बीमारी से जुड़े कई केस सामने आए हैं. इस बीमारी से पीड़ित पुरुषों में कई कई घंटे तक प्राइवेट पार्ट में तनाव बना रहता है और वे इससे निपटने का उपाय नहीं ढूंढ पाते हैं. इस अजीबोगरीब बीमारी का डॉक्टर आज तक कोई पुख्ता कारण नहीं जान पाए हैं.

डॉक्टर ढूंढ नहीं पाए हैं कारण

हालांकि कुछ मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि यह बीमारी नर्व यानी तंत्रिका में गड़बड़ी से जुड़ी है. इन एक्सपर्ट के मुताबिक पीठ में रीढ़ के निचले हिस्से में सिस्ट बनने से यह गड़बड़ी हो सकती है. जिसके चलते कुछ महिला-पुरुषों के हॉर्मोन बिगड़ जाते हैं और वे बिना किसी से मिले हर वक्त यौन सुख जैसा अहसास करने लगते हैं. वे हर वक्त इसी तरह के अहसास में डूबे रहते हैं, जिसके चलते उनके लिए यह परेशानी का सबब बन जाता है और वे घर से बाहर निकलने में भी कतराने लगते हैं.

लक्षणों के आधार पर इलाज

रिपोर्ट के मुताबिक PAGD क्यों होती है, इसका पुख्ता कारण अभी तक सामने नहीं आ सका. ऐसे में डॉक्टर लक्षणों के आधार पर इसका इलाज करने की कोशिश करते हैं. इनमें पेल्विक की मसाज, शरीर को शांत करने के लिए ठंडे पानी से स्नान, प्राइवेट पार्ट पर सुन्न करने वाली जेल लगाना, एक्युप्रेशर का इस्तेमाल और मसल्स को रिलेक्स करने वाली थेरेपी इस्तेमाल की जाती है. इसके अलावा फिजियोथेरेपी इस्तेमाल करके भी बीमारी पर नियंत्रण पाने की कोशिश की जाती है.

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