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Saturday, July 6, 2024
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इलेक्ट्रिक या CNG? कौन सी कार है बेहतर, खरीदने से पहले समझें दोनों के फायदे-नुकसान

पिछले एक साल में पेट्रोल और डीजल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं, इसलिए देश में बहुत सारे ग्राहकों अब किफायती वाहनों के ऑप्शन की ओर रूख कर रहे हैं. ऐसे में लोग पेट्रोल की जगह CNG और इलेक्ट्रिक कार खरीदना पसंद कर रहे हैं, जो उनके बजट में आती हैं. भारत में पिछले 12 महीनों में इलेक्ट्रिक वाहनों और सीएनजी से चलने वाली कारों की बिक्री में पहले से कहीं ज्यादा तेजी देखी गई है. हालांकि, इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री अभी भी देश में कुल वाहनों की बिक्री की तुलना में काफी कम है, लेकिन इसमें पिछले साल की तुलना में भारी वृद्धि देखी गई है.

ईवीएस ने इस साल अकेले नवंबर में 42,067 यूनिट्स का योगदान दिया, जबकि 2020 में इसी अवधि के दौरान सिर्फ 12,858 इकाइयों सेल हुई थी. इस साल अप्रैल से, इस महीने की शुरुआत तक लगभग 1.98 लाख इलेक्ट्रिक व्हीलक की बिक्री हुई है. दूसरी ओर, करंट वित्त वर्ष में CNG वाहनों में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. नवंबर तक CNG कारों की बिक्री में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, पिछले आठ महीनों में 1,36,357 यूनिट्स की बिक्री हुई.

पेट्रोल या डीजल कारों की तुलना में सीएनजी कारों को चलाने की लागत कम होती है, जबकि इलेक्ट्रिक कार के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पढ़ते हैं. दोनों के फायदे और नुकसान भी हैं. यहां एक इलेक्ट्रिक कार की तुलना में CNG कार रखने के फायदे और नुकसान के बारे में बताया है.

सीएनजी व्हीकल के फायदे

CNG कारें, कंप्रेस्ड नेचुरल गैस पर काम करती हैं. कई कार निर्माता, जिनमें मारुति सुजुकी और हुंडई मोटर शामिल हैं, अपनी बिक्री का एक बड़ा हिस्सा ऐसे वाहनों से कवर करते हैं. जबकि कुछ कार निर्माता सीएनजी किट मार्केट एडिशन के रूप में पेश करते हैं, ऐसे किट डिस्ट्रीब्यूटर के पास भी उपल्ब्ध होते हैं.

CNG व्हीकल का सबसे बड़ा बेनेफिट हैं की आपको फॉसिल फ्यूल पर डिपेंड नहीं रहना होता है और आप कम लागत में आसानी से ट्रेवल कर सकते हैं. सीएनजी की कीमत हालिया बढ़ोतरी के बावजूद पेट्रोल और ईंधन की कीमतों से काफी कम है. दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत अब 95.41 रुपये है, जबकि सीएनजी की कीमत समान राशि के लिए 53.04 रुपये है.

सीएनजी कारें इसे पेट्रोल या डीजल पर भी चलाने का ऑप्शन ऑफर करती हैं. इसलिए, अगर किसी की सीएनजी खत्म हो जाती है, तो आप ऑप्शन में पेट्रोल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

सीएनजी व्हीकल के नुकसान

सीएनजी कार खरीदना हर बार एक अच्छा ऑप्शन साबित नहीं हो सकता है. कार में सीएनजी किट ऐड करने के बाद, कार में  सिलेंडर के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. सीएनजी किट आमतौर पर कार के बूट स्पेस में लगाई जाती है जिससे यात्रियों के लिए वाहन में अपना भारी सामान लोड करना मुश्किल हो जाता है.

इतनी किफायती होने के बाद भी अभी भी देश भर में काफी ज्यादा लोग CNG का इस्तेमाल करना कम पसंद करते हैं. इसका सबसे पहले कारण है सीएनजी स्टेशन ढूंढना. किसी-किसी शहर में सीएनजी स्टेशन थोड़ा मुश्किल हो जाता है, साथ ही दूर होने की वजह से मालिकों को फ्यूल पर निर्भर होकर काफी लंबा डिस्टेंस कवर करना पढ़ता है.

इसकी एक और वजह हैं, दरअसल काफी लंबे समय ईंधन के रूप में CNG का इस्तेमाल करने व्हीकल की परफॉर्मेंस पर असर डालता है. पेट्रोल या डीजल का इस्तेमाल करते समय आउटपुट की तुलना में कार का पावर आउटपुट 10 प्रतिशत तक कम हो सकता है.

इलेक्ट्रिक व्हीकल के फायदें

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को हाल ही में प्रोत्साहन मिला जब कई राज्यों ने अपनी इंडिविजुअल इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी की घोषणा की थी. ये ईवी पॉलिसी आम तौर पर इंट्रोडक्टरी इंसेंटिव ऑफर करती हैं जो खरीदारों को इलेक्ट्रिक कारों पर स्विच करने के लिए आकर्षित करती हैं. अब भी, EV खरीदने पर कुछ जगहों पर RTO फीच या रोड टैक्स नहीं लगता है.

इलेक्ट्रिक व्हीकल भी चलने में सबसे सस्ते हैं. एक ईवी की चलने की लागत, जो कुछ मामलों में एक रुपये से भी कम है, एक सीएनजी वाहन से भी सस्ता है. इससे कार मेंटेनेंस में लगभग शून्य लागत होती, जिससे ग्राहकों के लिए समय-समय पर सर्विसिंग कराने से छुटकारा मिलता है.

इलेक्ट्रिक वाहनों को भी उनके जीरो एमिशन के कारण दुनिया भर में पसंद किया जाता है. ऐसे समय में जब लगभग हर देश में प्रदूषण से निपटने की लड़ाई में कार्बन एमिशन को कम करने में मदद करता है.

इलेक्ट्रिक व्हीकल के नुकसान

इतने फायदे होने के बाद भी भारत में ईवी की डिमांड पीछे रह जाती है, जिसकी वजह है इसकी कीमत. बैटरियों की हाई कॉस्ट का मतलब है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत सामान्य कारों की तुलना में ज्यादा है. यहां तक ​​कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की कीमत उनके ICE काउंटरपार्ट की तुलना में बहुत ज्यादा है. इसी वजह से भारत में हर कोई नॉर्मल कार से ईवी कार में आसानी से शिफ्ट करने पर विचार नहीं कर पाता है.

यह चुनौती सीधे तौर पर देश में ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से भी जुड़ी है. जबकि फ्यूल स्टेशन पर कार को पार्क करना आसान है, ईवी चार्जिंग स्टेशन ढूंढना अभी भी एक बड़ा काम है. और अगर किसी को जगह मिल भी जाती है, तो वे अक्सर बहुत दूर और कम होते हैं. अधिकांश किफायती ईवी सिंगल चार्ज पर 400 किलोमीटर से कम की रेंज प्रदान करते हैं जो ईवी मालिकों के लिए तैयारी या ऑप्शन के बिना लंबी ड्राइव का जोखिम उठाने मुश्किल साबिक हो सकता है.

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