जब पहली बार इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (ई-सिगरेट) आयी तो वे लोगों के लिए धूम्रपान छोड़ने का एक लोकप्रिय जरिया बन गयीं। लेकिन 2019 में फेफड़ों से जुड़ी एक रहस्यमयी बीमारी सामने आयी जो मुख्यत: उन युवाओं को हुई जो खासतौर से ई-सिगरेट का सेवन करते थे। इससे ई-सिगरेट की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए।
इस स्थिति को ई-सिगरेट या इससे निकलने वाली वाष्प को अंदर लेना और फिर छोड़ने से जुड़ी फेफड़ों की बीमारी या संक्षिप्त में ईवाली का नाम दिया गया है। इस स्थिति से पीड़ित लोगों की औसत आयु 24 वर्ष है। इसके लक्षणों में खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द के साथ पेट की समस्याएं, बुखार, ठंड लगना और वजन घटना शामिल है।
अब हम जानते हैं कि ईवाली वाणिज्यिक निकोटिन वाली ई-सिगरेट से होने वाली बीमारी नहीं है। इसके बजाय यह टीएचसी वाले ई-तरल पदार्थ के तौर पर बेचे जाने वाले उत्पादों से जुड़ी है। टीएचसी (भांग में पाया जाने वाला पदार्थ) महंगा है। कुछ विक्रेता अपने उत्पादों में इसके बजाय विटामिन ई एसीटेट का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि विटामिन ई कुछ खाद्य पदार्थ और सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों में पाया जाता है लेकिन इसे वाष्प के तौर पर सांस में लेना हानिकारक है।
एक बार विटामिन ई एसीटेट से जोखिम की पहचान हो जाने के बाद, एवली के मामलों में तेजी से गिरावट आई। लेकिन इससे ई-सिगरेट के बारे में कई लोगों की धारणा बदली नहीं है और कई अब भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
गलत धारणाएं :
इंग्लैंड के जन स्वास्थ्य और अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने कहा है कि ई-सिगरेटों से धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को फायदा हो सकता है लेकिन ईवाली के कारण इसके खतरों को लेकर चिंताएं अब भी लोगों को इससे दूर कर रही है।
हाल के सर्वेक्षणों में यह पाया गया कि इसमें भाग लेने वाले अमेरिका के आधे और ब्रिटेन के एक तिहाई लोगों का मानना है कि निकोटिन ई-सिगरेट सामान्य सिगरेट के जितनी ही हानिकारक हैं। टीएचसी वाले उत्पादों से संपर्क होने का पता चलने के बाद भी ज्यादातर लोगों का मानना है कि ईवाली का संबंध खास तरह के निकोटिन वाले ई-सिगरेट से है न कि भांग या टीएचसी वाले उत्पादों से।
अनुसंधानों से पता चलता है कि निकोटिन वाली ई-सिगरेट से लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद मिल सकती है और यह निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी से ज्यादा प्रभावी हो सकती है। ई-सिगरेट को धूम्रपान छोड़ने का तरीका बताने वाले अध्ययनों में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने की आशंका अधिक है।
यह भी गौर करने वाली बात है कि ई-सिगरेट में आम तौर पर केवल निकोटिन होता है न कि तंबाकू जो कि सिगरेट में पाया जाता है। हालांकि निकोटिन एक नशीला पदार्थ है लेकिन तंबाकू में कार्बन मोनोऑक्साइड, टार और जहरीले रसायन होते हैं। इन पदार्थ से कैंसर तथा दिल और फेफड़ों की अन्य बीमारियां होती हैं। तंबाकू के जलने के कारण सिगरेट से काफी नुकसान पहुंचता है। ई-सिगरेट में बिना कुछ जले निकोटिन का सेवन किया जा सकता है।
वैध चिंताएं :
ई-सिगरेट लंबे समय से इस्तेमाल में नहीं हैं इसलिए उसके पूरी तरह हानिरहित होने की संभावना नहीं है। अत: उनके दीर्घकालीन असर के बारे में अनिश्चितता है। ई-सिगरेट में इस्तेमाल होने वाले तरल और वाष्प में संभावित रूप से हानिकारक रसायन होते हैं जो सिगरेट में भी पाए जाते हैं लेकिन ई-सिगरेट में इनकी मात्रा बहुत कम होती है। इसके साथ ही किशोरावस्था में मस्तिष्क के विकास पर निकोटिन के असर को लेकर भी चिंताएं हैं।
धूम्रपान का संबंध केवल कई हानिकारक बीमारियों से नहीं है बल्कि इससे मार्च 2020 से अब तक अमेरिका में करीब 7,20,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है जो कोविड-19 से होने वाली मौतों से अधिक है। हमारे पास अभी तक उपलब्ध साक्ष्यों से यह पता चलता है कि ई-सिगरेट लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद कर सकती है और इसके सिगरेट के मुकाबले कहीं कम स्वास्थ्य खतरे हैं।