भारत के साथ-साथ दुनिया के तमाम देशों में कोरोना वायरस का कहर जारी है. भारत ने इस साल कोरोनावायरस की दूसरी लहर का सामना किया. इस दौरान हम सभी ने देश की सबसे भयावह हालातों को देखा. लाखों नए मरीज सामने आने के बाद अस्पतालों में बेड भर गए, ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई, जरूरी दवाइयां खत्म हो गईं. फिलहाल, देश में अभी ऐसी कोई समस्या नहीं है. लेकिन, देशभर में अभी भी 40 हजार के आसपास नए मरीज सामने आ रहे हैं और रोजाना सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है. ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में प्रवेश करने के बाद कोरोना रेस्पिरेटरी सिस्टम पर हमला करता है, जिससे इंसान को सांस लेने में समस्या होती है और जब सही समय पर स्थिति को संभाला न जा सके तो मरीज की मौत हो जाती है. महामारी की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए रेस्पिरेटरी रेट के बारे में जानना बहुत जरूरी है.
क्या होता है रेस्पिरेटरी रेट
रेस्पिरेटरी रेट को हिंदी में श्वसन दर के नाम से जाना जाता है. आपके श्वसन दर का सीधा मतलब ये है कि आप एक मिनट में कितनी बार सांस लेते हैं. इस महत्वपूर्ण विषय के बारे में आगे बढ़ने से पहले आपको ये जानना बहुत जरूरी है कि श्वसन दर मानव शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण लक्षण है, जिससे कई तरह की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. प्रति मिनट ली जाने वाली सांस को ही श्वसन दर या Respiratory rate कहा जाता है. कम उम्र के बच्चे और एक व्यस्क के रेस्पिरेटरी रेट में बड़ा अंतर पाया जाता है. आज हम यहां आपको एक नवजात बच्चे से लेकर एक व्यस्क के श्वसन दर के बारे में बताने जा रहे हैं.
व्यस्कों का सामान्य श्वसन दर कितना होना चाहिए
healthline.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक व्यस्कों का सामान्य श्वसन दर 12 से 16 होता है. यानी एक स्वस्थ व्यस्क एक मिनट में 12 से 16 बार सांस लेता है. यदि आपका रेस्पिरेटरी रेट 12 से कम या 16 से ज्यादा है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. हालांकि, कुछ मामलों में आपके रेस्पिरेटरी रेट में मामूली बदलाव हो सकते हैं. लेकिन जब आपके रेस्पिरेटरी रेट में बड़ा अंतर देखने को मिले तो ये निश्चित रूप से चिंता की बात हो सकती है. सामान्य से कम रेस्पिरेटरी रेट आपके नर्वस सिस्टम में हो रही दिक्कतों की एक वजह हो सकता है. इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ-साथ हमारे रेस्पिरेटरी रेट में भी बदलाव होता रहता है.
नवजात शिशुओं का श्वसन दर होता है सबसे ज्यादा
एक व्यस्क के मुकाबले एक छोटे बच्चे के श्वसन दर में काफी बड़ा अंतर होता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि बच्चों का श्वसन दर तेजी से बदलता है. एक नवजात शिशु एक मिनट में 30 से 60 बार सांस लेता है. ये श्वसन दर जन्म से लेकर 1 साल की उम्र तक रह सकता है. 1 से 3 साल का बच्चा एक मिनट में 24 से 40 बार सांसे लेता है. 3 से 6 साल का बच्चा एक मिनट में 22 से 34 बार सांस लेता है. 6 से 12 साल के बच्चे का रेस्पिरेटरी रेट 18 से 30 के बीच होता है, जबकि 12 से 18 साल के बच्चों का श्वसन दर 12 से 16 होता है और व्यस्कों का रेस्पिरेटरी रेट भी इतना ही होता है. बढ़ती उम्र के साथ इसमें बदलाव भी होता रहता है.