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Sunday, September 29, 2024
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कमल हासनः अभिनेता से राजनेता तक एक असली ‘दशावतारम’

कमल हासन ने सिर्फ छह साल की उम्र में ही अभिनय शुरू कर दिया था. उन्होंने 220 से अधिक फ़िल्मों में काम किया है. एक अभिनेता के तौर पर चार राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं, निर्माता के रूप में एक नेशनल अवॉर्ड जीता है जबकि 10 स्टेट अवॉर्ड जीते हैं. उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण जैसे नागरिक सम्मान भी मिले हैं. दक्षिण भारतीय फ़िल्मों के अलावा उन्होंने हिंदी और बंगाली फ़िल्में भी की हैं.

कमल हासन ने साल 2018 में अपनी राजनीतिक पार्टी शुरू की थी और चुनाव भी लड़े थे. उनकी पार्टी ने वोट तो हासिल किए लेकिन कोई उल्लेखनीय जीत नहीं मिल सकी. अब वो एक और चुनाव की तैयारी कर रहे हैं.

हासन परमाक्कुडी में पैदा हुए और चेन्नई में पले बढ़े. वो अब कोयम्बटूर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. राजनीति में भले ही उनका सफर छोटा है लेकिन फ़िल्मी दुनिया में उनका सफर लंबा रहा है.

रामनाथपुरम ज़िले के परमाक्कुडी में रहने वाले श्रीनिवासन चर्चित अधिवक्ता थे. श्रीनिवासन और उनकी पत्नी राज लक्ष्मी के चार बच्चे हुए. चारू हासन, चंद्रा हासन, नलिनि और कमल हासन. 7 नवंबर 1954 को जन्मे कमल सबसे छोटे थे.

कमल हासन ने परमाक्कुडी में स्कूली पढ़ाई शुरू ही की थी कि वो अपने बड़े भाई चारू हासन के साथ चेन्नई चले गए. यहां एवीएम स्टूडियो को संस्थापक एवी मेयप्पा चेट्टियार ने उन्हें फ़िल्म कालाथुर कानम्मा में छोटी सी भूमिका दे दी.

1960 में रिलीज़ हुई ये फ़िल्म ब्लॉकबस्टर हिट थी. पहली ही फ़िल्म में कमल हासन को एक सर्वश्रेष्ठ बाल अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिल गया. इस कामयाबी के बाद उन्होंने कई फ़िल्मों में काम किया. उन्होंने पार्थल पासी थीरम, पाथा कानिक्कई, कान्नुम कालुम (मलयालम) आनंद ज्योति और वानमपाडी जैसी फ़िल्में में काय किया. 1963 में एक बाल अभिनेता के रूप में उनका करियर समाप्त हो गया.

अभिनय से छुट्टी

कमल हासन चेन्नई में अपनी पढ़ाई जारी करते रहे. ट्रिप्लीकेन के हिंदू हायर सेकेंड्री स्कूल से उन्होंने आठवीं की परीक्षा पास की. इसके बाद उन्होंने पुरासाईवक्कम एमसीटी मुथैया हायर सेकेंड्री स्कूल में दाख़िला लिया.

किशोरावस्था में भी वो अभिनय में रूचि लेने लगे. उन्होंने एक ड्रामा ग्रुप का हिस्सा बनने के साथ-साथ डांस सीखना भी शुरू कर दिया. दसवीं के बाद उन्होंने स्कूली पढ़ाई छोड़ दी.

उन्होंने अपने दोस्तों के साथ शिवालय नाम का डांस ट्रूप शुरू किया. लेकिन कुछ महीनों में ही ये समूह टूट गया. उन्हें अभिनय के मौके भी नहीं मिल पा रहे थे. वे थंगप्पम मास्टर के डांस ट्रूप को एक सहायक के तौर जुड़ गए.

1970 में देवर फ़िल्म्स के बैनर तले बनी फ़िल्म मानवम में उन्होंने एक गीत पर नृत्य किया और वो फिर से सिने स्क्रीन पर नज़र आए. इसके बाद उन्होंने अन्नई वेलनकन्नी और कुराथी मागन जैसी फ़िल्मों में छोटे-छोटे रोल किए.

फ़िल्म इंडस्ट्री के कई मोर्चों पर छाप

निर्देशक बालचंदर ने उन्हें अरंगेतरम और सोल्लाथान जैसी फ़िल्मों में बड़ा ब्रेक दिया. इन फ़िल्में के बाद कमल हासन को फिर से रोल मिलने लगे.

साल 1974 में आई फ़िल्म अवल ओरू थोडरकथाई और फिर 1975 में आई अबूर्वा रागंगल ने दर्शकों का ध्यान उनकी तरफ खींचा. उन्हें खूब दाद भी मिली. इसके बाद उनके करियर ने रफ़्तार पकड़ ली और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

उन्होंने पैंतीस से अधिक मलयाली फ़िल्मों और पंद्रह से अधिक हिंदी फ़िल्मों में भी काम किया. उन्होंने सात से अधिक फ़िल्मों की कहानियां भी लिखीं.

उन्होंने तीन फ़िल्मों की कहानी और स्क्रिप्ट भी लिखी है जबकि दो फ़िल्मों की स्क्रिप्ट और संवाद लिखे हैं. दस फ़िल्मों की पटकथा भी उन्होंने लिखी. वहीं आठ फ़िल्मों के डांस मास्टर की भूमिका भी उन्होंने निभाई है.

उन्होंने चार फ़िल्मों का निर्देशन किया है और 70 से अधिक फ़िल्मी गीत भी गाए हैं. कुछ गीत भी उन्होंने लिखे. उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री के कई मोर्चों पर अपनी छाप छोड़ी है.

राजनीतिक झुकाव

जब रजनीकांत और कमल हासन अपने फ़िल्मी करियर के शिखर पर थे तब महान अभिनेता एमजीआर राजनीति में शामिल हुए और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन गए. उस समय कमल हासन और रजनीकांत के राजनीतिक झुकाव पर खूब चर्चा होती थी.

ये बहस होती थी कि फ़िल्मी दुनिया की ये अगली पीढ़ी एमजीआर के नक्शे कदम पर चलते हुए राजनीति में शामिल होगी या नहीं. रजनीकांत तो 90 के दशक के बाद से ही राजनीति में आने के संकेत देते रहे थे. कमल हासन हालांकि राजनीति से दूर ही बने रहे.

जयललिता की मौत और विपक्षी नेता एम करुणानिधि के शिथिल पड़ जाने से शायद वे उनके दिल में राजनीति में आने की ललक उठी हो.

रजनीकांत ने भले ही हाल ही में सीधे तौर पर राजनीति में आने की बातें की हों लेकिन उनकी फ़िल्में लंबे समय से उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के संकेत देती रहीं थीं. दूसरी तरफ़ कमल हासन ने कुछ साल पहले तक राजनीति को लेकर कभी कोई बात नहीं की थी.

दस साल पहले आनंद विकेटन को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि वो राजनीति के लिए उपयुक्त नहीं हैं.

जब तमिल अख़बार थांथी के एक पत्रकार ने उनसे पूछा था कि यदि आपके मित्र रजनीकांत ने आपको न्योता दिया तो क्या आप राजनीति में आएंगे? तब कमल हासन ने कहा था कि मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं राजनीति में नहीं आऊंगा. लेकिन उनकी किस्मत में राजनीति में आना ही लिखा था.

विश्वरूपम का मुद्दा और उनका अवतार

2013 में आई उनकी फ़िल्म विश्वरूपम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. ये वो समय था जब कमल हासन ने खुले तौर पर राजनीति पर बात करनी शूरू कर दी थी.

इस फ़िल्म को 25 जनवरी 2013 को रिलीज़ होना था लेकिन मुसलमान संगठनों ने इसका विरोध कर दिया. तमिलनाडु सरकार ने पंद्रह दिनों के लिए रिलीज़ पर रोक लगा दी.

इस घटना के बाद एक प्रेसवार्ता में कमल हासन ने कहा था, “ये प्रतिबंध सिर्फ़ मेरा ही नहीं बल्कि पूरे देश का अपमान है. यदि ये ख़तरा बना रहा तो मैं देश छोड़ने के बारे में भी सोचूंगा.”

राजनीतिक दल की घोषणा

मुस्लिम संगठनों से चर्चा के बाद फ़िल्म से कुछ दृश्य हटाए गए और फ़िर फ़िल्म रिलीज़ हो सकी. कमल हासन ने एक बार फ़िल्मों पर अपना ध्यान केंद्रित किया और वो साल 20017 में बिग बॉस के होस्ट भी बन गए. शो में उन्होंने देश के हालातों, राजनीति और भ्रष्टाचार पर भी चर्चा की जो बहस का केंद्र बिंदु रहा.

एक प्रेस वार्ता में तमिलनाडु के मंत्रियों ने पलटवार करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के सबूत पेश किए जाने चाहिए. चेतावनी दी गई कि यदि वो सरकार के ख़िलाफ़ यूं ही बोलते रहेंगे तो उन पर मुक़दमा दर्ज करवाया जाएगा.

इसके जवाब में कमल हासन ने लिखा, “संबंधित मंत्रालयों को भ्रष्टाचार का ब्योरा देते हुए ईमले भेजिए.” इस घटनाक्रम के बाद से सरकारी वेबसाइटों से मंत्रियों के ईमले पते हटा दिए गए.

कमल हासन के राजनीतिक बयान और उन पर मंत्रियों, ख़ासतौर पर डी जयाकुमार की प्रतिक्रियाएं खूब चर्चा बटौर रहीं थीं. ये वो समय था जब कमल हासन ने अपने राजनीतिक दल की घोषणा कर दी.

21 फ़रवरी 2018 को मदुरै में हुई एक बड़ी बैठक में उन्होंने अपनी पार्टी का एलान करते हुए बताया कि वो मक्कई नीति कीरम नाम से पार्टी का गठन कर रहे हैं. इस बैठक में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल समेत कई नेता शामिल हुए थे.

रजनीकांत और कमल हासन ने लगभग एक समय राजनीति में कदम रखा. रजनीकांत ने भले ही 31 दिसंबर 2017 को राजनीति में आने का एलान कर दिया हो लेकिन इसके बाद उन्होंने जल्द ही कुछ बड़ा नहीं किया. कमल हासन भी साल 2017 से ही राजनीति में आने के कूट संकेत देने लगे थे.

उन्होंने न सिर्फ़ पार्टी शुरू की बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव भी लड़े. हालांकि उनकी पार्टी 2017 के विधानसभा चुनावों में कोई सीट नहीं जीत पाई. कई सीटों पर पार्टी तीसरे या चौथे नंबर पर रही. पार्टी को कुल 15,75,000 मत मिले. दक्षिण और मध्य चेन्नई से उनकी पार्टी ने दस प्रतिशत वोट प्राप्त किए.

जब से हासन ने राजनीतिक दल शुरू किया है उनकी विचारधारा को लेकर सवाल उठते रहे है. लांच के दौरान उन्होंने कहा था, “वैचारिक तौर पर मैं ना दक्षिणपंथी हूं और ना ही वामपंथी. हमें मध्य में रहना है.”

बहुत से लोग उनके बयान के मायने ही नहीं समझ पाए थे.

जब वो बिग बॉस के एंकर थे तब उन्होंने कहा था कि विंध्य पर्वतों के दूसरी तरफ जो भारत है वह आत्म सम्मान वाला भारत है. उन्होंने द्रविड़ का मुद्दा उठाने वाली राजनीतिक पार्टियों का समर्थन किया. उन्होंने भगवे में काला भी होता है जैसे बयानों से विवाद भी खड़ा किया.

मदुरै में पार्टी की घोषणा करते वक्त उन्होंने बयान दिया था कि भारत में भ्रष्टाचार ही सभी समस्याओं की जड़ है. उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार समाप्त करना ही उनका मूल मुद्दा होगा. हासन ने कहा था, “मैं सभी को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए काम करूंगा. जाति और धर्म भी समाप्त हो जाएंगे, किसी को कुछ भी फ्री भी नहीं दिया जाएगा.”

पार्टी शुरू करने के बाद से ही वो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मुखर रहे हैं और यही उनका प्रमुख मुद्दा भी रहा है. उनकी प्रेसवार्ताओं और ट्विटर फीड में इन मुद्दों पर कूट संदेश दिए जाते रहे हैं. हालांकि उनकी राय को स्पष्ट समझना भी आसान नहीं है.

व्यक्तिगत जीवन

कमल हासन ने दो बार शादी की है. 1978 में उन्होंने वाणी गणपति से शादी कर ली थी. हासन और गणपति ओफ़िल्म मेल नातू मारूमगल की शूटिंग के दौरान मिले थे. शादी के कुछ साल बाद ही दोनों का तलाक हो गया था.

इसके बाद हासन ने बॉलीवुड अभिनेत्री सारिका से शादी की थी. सारिका और कमल हासन की दो बेटियां हैं श्रुति हासन और अक्षरा हासन. सारिका से भी वो कुछ साल बाद अलग हो गए और फिर फ़िल्म अभिनेत्री गौतमी के साथ रहे. अब ये दोनों भी अलग हैं.

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