Friday, November 8, 2024
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कान छिदवाने के बाद इन टिप्स को करें फॉलो, नहीं होगा इंफेक्शन

आज कल नाक कान छिदवाना एक फैशन सा बन गया है. लड़कियों की तरह से अब लड़के भी जमकर काम छिदवाने लगे हैं. आज के वक्त में एक ट्रेंड सा बन गया है कि अलग अलग शरीर के हिस्सों में पियर्सिंग करवाया जा रहा है. हालांकि कान नाक पियर्सिंग की प्रथा सालों पुरानी है.

लोगों को एक से ज्यादा पियर्सिंग का शौक भी होता है तो कान में एक से ज्यादा पियर्सिंग लड़कियां खास रूप से करवाती हैं. Ear Piercing को करवाने में हल्के से दर्द को भी झेलना पड़ता है. ऐसे में हम आपको कुछ बातों का ख्याल रखना काफी जरूरी है.

कई बार पियर्सिंग करवाते समय या कान-नाक छिदवाने के बाद इंफेक्शन हो जाता है. इसीलिए इस बात का खास रूप से ध्यान देने होता है कि पियर्सिंग के बाद स्किन में किसी भी प्रकार का इंफेक्शन ना होने पाए. आपको हर तरह के इनफेक्शन से अपने कान को पियर्सिंग से बचाना चाहिए.

रखें ये खास सावधानियां

कान छिदवाने के बाद चांदी या सोने की तार ही कान में पहनाएं.

-कान में छिदवाने के बाद देसी उपचार को अपनाते हुए कान में हल्दी और नारियल के तेल का पेस्ट मिलाकर लगाएं. इससे, कान में इंफेक्शन नहीं होगा.बता दें कि हल्दी में एंटीबैक्टीरियल तत्व मौजूद होते हैं.

-कान छिदवाने के बाद उसे बार बार ना छूने, उससे खेलने या उसे खींचने से बचें..

– कान छिदवाने के कुछ समय तक किसी भी प्रकार की हैवी या फिर आर्टीफिशियली ज्वैलरी को ना पहनें. इससे काम में इनफेक्शन होने का डर है.

– कानों के नए छेद को हमेशा गीला रखें, इसको पानी आदि से बचा कर रखें और इसमें एंटीबैक्‍टीरियल प्रोडक्‍ट लगाएं.

– कानों को छूने से पहले हाथों को जरूर धोएं. हर कुछ देर में कानों की बॉली को कानों में घुमाएं ताकि त्वचा मुक्त रहें.

– कान छिदवाने के 6 हफ्तों के बाद ही स्‍विमिंग आदि करें. क्‍योंकि स्विमिंग करने से पूल का पानी आपके छेद में संक्रमण पैदा कर सकता है

– नहाते या कपड़े बदलते समय विशेष एहतियातें बरतें. कहीं कान का पिछला भाग उसके कपड़े या तौलिये में न फंस जाये. साथ ही इस जगह को सूखा और साफ रखें.

कान-नाक छिदवाने के अहम हेल्दी फायदे(Important healthy benefits of ear-nose piercing)

– इससे सुनने की शक्ति बढ़ती है

-कहते हैं कि इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है

-तनाव भी होता है कम

-लकवा का खतरा कम होने के चांस होते हैं

-उम्र होती है लम्बी

-दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन तेज़ होता है, जिससे दिमाग भी तेज काम करता है

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