Friday, November 22, 2024
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क्या आप जानते हो? रेलवे लाइन के बीच में और पटरी के दोनों तरफ क्यों बिछाए जाते हैं नुकीले पत्थर, यहां जानिए जवाब

सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में रेल की पटरियों के बीच और दोनों किनारे पत्थर या कंकड़ बिछाए जाते हैं. रेल लाइन के पास पत्थर बिछाने के पीछे बहुत ही बड़ी वजह है. रेल लाइन के आसपास पत्थर बिछाने की एक नहीं बल्कि कई वजहें हैं. हालांकि, इसकी असली वजह बहुत ही कम लोग जानते हैं. यदि आपको पत्थर बिछाने का कारण मालूम है तो ये बहुत ही अच्छी बात है और यदि नहीं मालूम तो फिक्र मत कीजिए, हम आपको इसका पूरा जवाब देंगे. बस इतना समझ लीजिए कि ये कंकड़ एक सफल और सुरक्षित रेल यात्रा के लिए बहुत जरूरी हैं, इनके बिना आपकी यात्रा न सिर्फ असुविधाजनक होगी बल्कि असुरक्षित भी होगी.

पटरियों के आसपास बिछाए जाने वाले पत्थरों को कहा जाता है ट्रैक बैलेस्ट
जैसा कि अभी हमने आपको बताया कि रेलवे लाइन के आसपास पत्थर बिछाने के कई कारण होते हैं. कारण जानने से पहले आपको ये बता दें कि रेलवे ट्रैक्स के पास बिछाए जाने पत्थर हमेशा नुकीले होते हैं. नुकीले होने की वजह से ही ये पत्थर आपस में जुड़े होते हैं और इधर-उधर नहीं बिखरते. यदि नुकीले पत्थरों के बजाए ट्रैक्स के पास गोलाकार पत्थर बिछाए जाएं तो ये ट्रेन के गुजरने वाले कंपन से इधर-उधर बिखर जाएंगे. रेलवे लाइन के पास बिछाए जाने वाले इन पत्थरों को ट्रैक बैलेस्ट (Track Ballast) कहा जाता है. आइए, अब जानते हैं कि आखिर रेलवे लाइन के पास ट्रैक बैलेस्ट को क्यों बिछाया जाता है?

1. ट्रैक बैलेस्ट स्लीपर्स को एक स्थान पर मजबूती के साथ पकड़कर रखते हैं
रेलने लाइन को हमेशा कंक्रीट से बनी सिल्लियों पर बिछाया जाता हैं. पहले कंक्रीट की सिल्लियों के बजाए लकड़ी के मोटे पटरे लगाए जाते थे. हालांकि, लकड़ी के ये पटरे गर्मी और बारिश में खराब हो जाते थे. जिसे देखते हुए भारतीय रेल अब कंक्रीट की सिल्लियों पर पटरी बिछाती है. लकड़ी के पटरे या फिर कंक्रीट की सिल्लियों को ही स्लीपर्स कहा जाता है. ट्रैक बैलेस्ट इन स्लीपर्स को मजबूती के साथ पकड़ कर रखती हैं. यदि ट्रैक बैलेस्ट न बिछाए जाएं तो ये स्लीपर्स ट्रेन के वजन और कंपन की वजह से इधर-उधर खिसक जाएंगे, जो एक बड़े रेल हादसे का कारण भी बन सकती है.

2. पटरियों पर ट्रेन के गुजरने की वजह से होने वाले कंपन और शोर को नियंत्रित करना
ट्रैक बैलेस्ट पटरियों पर गुजरने वाली ट्रेनों से उत्पन्न होने वाले जबरदस्त कंपन और शोर को काफी हद तक नियंत्रित करता है. यदि पटरियों के पास ट्रैक बैलेस्ट न बिछाए जाएं तो ट्रेन के भारी भरकम वजन से होने वाले कंपन से लाइन क्रैक होकर टूट सकती हैं. इसके साथ ही बिना ये पटरियों और ट्रेन के संपर्क में आने से होने वाले शोर को भी काफी कम करता है. यदि पटरियों पर ट्रैक बैलेस्ट न बिछाए जाएं तो इससे बहुत शोर होगा, जो आसपास के लोगों को काफी परेशान कर सकता है.

3. रेलवे ट्रैक पर घास-फूस और पौधों को उगने से रोकता है ट्रैक बैलेस्ट
ट्रेनों के सुगम आवागमन के लिए ये बहुत जरूरी है कि रेलवे ट्रैक बिल्कुल क्लियर हों. ट्रैक के बीच किसी भी प्रकार की घास-फूस और पौधे नहीं होने चाहिए. ट्रैक बैलेस्ट पटरियों के बीच इस तरह के घास-फूस को उगने से भी रोकता है.

4. बारिश के मौसम में पटरियों और स्लीपर्स की सुरक्षा करता है ट्रैक बैलेस्ट
भारत के कई इलाकों में हर साल भारी बारिश होती है, जो लगातार कई दिनों तक जारी रहती है. यदि रेलवे लाइन के पास ट्रैक बैलेस्ट न बिछाए जाएं तो पटरियों और स्लीपर्स के नीचे मौजूद मिट्टी बारिश की वजह से खिसक कर ढह सकती हैं, जिससे भयानक रेल हादसा हो सकता है. ट्रैक बैलेस्ट भारी बारिश में भी मिट्टी को उसकी जगह पर पकड़ कर रखता है, जिससे स्लीपर्स और पटरियां भी अपनी जगह पर ही टिकी रहती हैं.

5. पटरियों और स्लीपर्स पर पड़ने वाले ट्रेन के वजन को कम करता है बैलेस्ट
हजारों टन भारी एक ट्रेन के गुजरने से पटरियों और स्लीपर्स पर जबरदस्त दबाव पड़ता है. ट्रैक बैलेस्ट पटरियों और स्लीपर्स पर पड़ने वाले ट्रेन के दबाव को बांटता और खुद भी इसका वजन सहन करता है. ट्रैक बैलेस्ट की गैर-मौजूदगी में ट्रेन का सारा वजन सीधे-सीधे पटरियों और स्लीपर्स पर ही पड़ेगा, जिससे वह बहुत ही जल्द टूट जाएंगी. बताते चलें कि ट्रैक बैलेस्ट को नियमित रूप से रख-रखाव की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा समय-समय पर ट्रैक बैलेस्ट को बदला भी जाता है.

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