Friday, November 15, 2024
No menu items!
HomeLifestyleHealthक्या कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद कुछ लोग बन सकते हैं...

क्या कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद कुछ लोग बन सकते हैं डायबिटीज के शिकार? जानिए

नई रिसर्च के मुताबिक कोरोना वायरस पैंक्रियाज के सेल के काम को बदलता है. जब कोरोना सेल्स को संक्रमित करता है, तो न ये सिर्फ उनकी गतिविधि को खराब करता है बल्कि उनके कामकाज में भी बदलाव ला सकता है.

कोविड-19 पैंक्रियाज में इंसुलिन बनानेवाली सेल्स को प्रभावित और सेल्स के कामकाज को बदल सकती है, इससे संभावित तौर पर पता चलता है कि पहले सेहतमंद लोग कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद डायबिटीज रोगी क्यों बन जाते हैं. डॉक्टर कोरोना संक्रमण से या उससे ठीक होने के बाद डायबिटीज रोगी बननेवाले मरीजों की बढ़ती हुई संख्या पर बेहद चिंतित हैं.

कोरोना से संक्रमित कुछ लोग डायबिटीज के रोगी क्यों बन जाते हैं?

इस बढ़ोतरी को स्पष्ट करने के लए कई थ्योरी पेश किए गए हैं. एक ये है कि वायरस पैंक्रियाज की सेल्स उसी ACE2 रेसेप्टर के जरिए प्रभावित करता है जो लंग के सेल्स पर पाया जाता है और इस तरह इंसुलिन पैदा करने की क्षमता में रुकावट पैदा करता है. इंसुलिन ऐसा हार्मोन है जो ब्लड में मौजूद ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने में शरीर की मदद करता है.

दूसरा सिद्धांत ये था कि वायरस के खिलाफ जरूरत से ज्यादा एंटीबटजी रिस्पॉन्स पैन्क्रियाज की सेल्स को गलती से नुकसान पहुंचा सकता है, या शरीर में सूजन के कारण टिश्यू की इंसुलिन के खिलाफ रिस्पॉन्स की क्षमता प्रभावित होती है. न्यूयॉर्क में वेल कॉर्नेल मेडिसीन के विशेषज्ञों ने लैब में विकसित कई सेल्स की स्क्रीनिंग की ये पहचान करने के लिए कौन कोरोना से संक्रमित हो सकता है.

कोविड पैंक्रियाज में इंसुलिन बनानेवाली सेल्स को करती है प्रभावित

नतीजे से पता चला कि लंग, कोलेन, हार्ट, लिवर और पैंक्रियाज के सेल्स वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, उसी तरह डोपामाइन बनानेवाले दिमाग के सेल्स भी. आगे के प्रयोग खुलासा हुआ कि पैंक्रियाज में इंसुलिन बनानेवाले बीटा सेल्स को भी बीमारी का खतरा है और एक बार संक्रमित होने पर ये सेल्स कम इंसुलिन पैदा करते हैं. वैज्ञानिकों ने टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित कुछ मरीजों में समान ट्रेंड को देखा, हालांकि बीमारी इंसुलिन के खिलाफ शरीर के टिश्यू का कम प्रभावी होने से अधिक जुड़ता है.

लेकिन ये स्पष्ट नहीं कि क्या कोरोना संक्रमण से आनेवाले बदलाव लंबे समय तक रहनेवाले हैं. उन्होंने कहा कि आईसीयू में इलाजरत कोरोना के कुछ मरीजों का ब्लड ग्लूकोज लेवल बीमारी से ठीक होने के बाद बहुत अस्थिर हो गया था, उनमें से कुछ का ग्लकूोज कंट्रोल भी ठीक हो गया, इससे ये संकेत मिलता है कि सभी मरीजों में ये समस्या स्थायी नहीं होगी.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments

deutsche porno