अगर आपको लगता है कि प्रदूषण (Pollution) सिर्फ घर के बाहर है और अंदर आप पूरी तरह सुरक्षित हैं, तो ऐसा नहीं है. इलेक्ट्रॉनिक सामान से निकलने वाली गैस और खाना पकाते समय निकलने वाला धुंआ से भी घर के अंदर हवा की गुणवत्ता खराब होती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि इंडोर पॉल्यूशन (Indoor pollution) बाहरी वायु प्रदूषण की तुलना में ज्यादा घातक होता है. हर साल लाखों लोग इस प्रदूषण के कारण बीमार होते हैं. कई मामलों में लोग फेफड़ों की गंभीर बीमारी से भी पीड़ित हो जाते हैं.
आने वाले कुछ दिनों में प्रदूषण का बढ़ना शुरू हो जाएगा. यह प्रदूषण घर के अंदर और बाहर दोनों जगह होता है,लेकिन लोगों का ध्यान हमेशा बाहर के पॉल्यूशन पर ही होता है. एम्स नई दिल्ली के डॉक्टर अमरींद्र सिंह बताते हैं कि ठंड के मौसम में लोग घरों के दरवाजें और खिड़कियां बंद रखते हैं. घरों में जो इनवर्टर बैटरी, रेफ्रिजेरेटर रखा हुआ होता है उनसे निकलने वाली गैस बाहर नहीं जा पाती. इससे घर की हवा बेहद प्रदूषित हो जाती है और उसी खराब हवा में सभी लोग सांस लेते हैं. इससे लोगों को अस्थमा और सांस लेने में परेशानी की शिकायत हो जाती है. डॉक्टर के मुताबिक, घर के अंदर के प्रदूषण के बारे में लोगों को जानकारी नहीं होती है. कई घरों में तो वेंटिलेशन के लिए भी जगह नहीं छोड़ी जाती है, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए.
यह है समाधान
विशेषज्ञों का कहना है कि घर के प्रदूषण से बचने का समाधान यह है कि घर में सही वेंटिलेशन होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं है तो घर में छोटे-छोटे पौधें रखें. क्योंकि यह पौधे ऑक्सीजन छोड़ते हैं और हवा को साफ करते हैं. इसलिए घरेलू सजावट में पौधों को ज्यादा से ज्यादा शामिल करें. कोशिश करें कि थोड़ी देर के लिए खिड़कियों को खोल दे. इसके अलावा यह भी जरूरी है कि घर के अंदर धूम्रपान न करें. घर में मौजूद रेफ्रिजरेटर, बैटरी, ओवन जैसे उपकरण बंद कमरे में ना रखें.
घर के पर्दों और कालीन को रखें साफ
कई बार घर के पर्दों और कालीन पर धूल के कण जमा हो जाते हैं. यह कण लोगों को एलर्जी और सांस की समस्या का कारण बन सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि नियमित रूप से इनकी सफाई करें. इनके अलावा बिस्तर और सोफे की भी नियमित सफाई करने की आदत डालें.