चीन की सरकार पिछले कई साल से एक नई डिजिटल करंसी की टेस्टिंग कर रही है. कहा जा रहा है कि इस करंसी को चीन सरकार का समर्थन प्राप्त है और इसे पायलट प्रोजेक्ट पर शुरू भी किया जा चुका है. मीडिया के कुछ धड़े में इस ‘डिजिटल करंसी’ (डिजिटल युआन) की लंबे दिनों से चर्चा है जिसे डिजिटल वॉलेट में स्टोर किया जा सकता है. इसका बैंक अकाउंट से कोई लेना-देना नहीं है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले साल चीन के कुछ शहरों में इसे आगे बढ़ाया गया था. सरकार पायलट प्रोजेक्ट में इसकी सफलता देखना चाहती है ताकि सही-गलत का अंदाजा हो सके. चीन के स्थानीय मीडिया के अनुसार, शेनझेन, सुझाऊ, चेंगडू और झियोंगयान में इस डिजिटल करंसी को सीमित स्तर पर शुरू किया गया है. ‘चाइना डेली’ की एक रपट में कहा गया कि पिछले साल मई महीने की सैलरी इसी डिजिटल करंसी के रूप में दी गई. कुछ सरकारी कर्मचारियों और नौकरी पेशा लोगों को क्रिप्टोकरंसी में सैलरी दी गई. कुछ लोगों को ट्रांसपोर्ट सब्सिडी के रूप में डिजिटल करंसी दी गई.
ओलंपिक से नाता
चर्चा यह भी है कि चीन बीजिंग विंटर ओलंपिक 2022 से पहले इस करंसी को पूरी तरह से उतार देगा. बीजिंग पूरी दुनिया को यह संदेश देना चाहता है कि डॉलर की तुलना में उसके युआन की ताकत ज्यादा है इसका इस्तेमाल ओलंपिक जैसे वैश्विक कार्यक्रम में वह कर सकता है. ओलंपिक को इसलिए चुना जा सकता है क्योंकि उस वक्त पूरी दुनिया की निगाह चीन पर होगी. वह डिजिटल करंसी के माध्यम से अपनी धाक जताने की कोशिश करेगा. अमेरिका से जारी तनातनी के अरसे पहले वह युआन को डॉलर से आगे निकालने की जुगत में है. इसके लिए वह सोने का भंडार भी जमा कर रहा है.
करंसी लाने की कोशिश क्यों
चीन की इस करंसी की चर्चा इसलिए ज्यादा है क्योंकि ऐसा पहली बार होगा जब कोई इतनी बड़ी आर्थिक महाशक्ति डिजिटल करंसी का ऐलान करेगी. दुनिया में सरकारी तौर पर अब तक ऐसा ऐलान नहीं हुआ है. चीन की जहां तक बात है तो वहां पहले से कुछ क्रिप्टोकरंसी चलन में है. जैसे अलीबाबा ग्रुप की अलीपे या टेनसेंट होल्डिंग की वीचैट. लेकिन इन करंसी को सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं है. क्रिप्टोकरंसी लाने के पीछे बड़ी वजह चीन का मोबाइल ऐप का बाजार है. चीन की जीडीपी में मोबाइल ऐप से होने वाली कमाई का हिस्सा 16 परसेंट तक है. युआन की तुलना में डिजिटल करंसी के माध्यम से ऐप की खरीद-बिक्री ज्यादा आसान होगी.
अमेरिका को टक्कर देने की तैयारी
चीन ने साल 2014 से ही डिजिटल करंसी की कोशिश तेज की है. कहा जा रहा है कि उसे भावी समय में अमेरिकी डॉलर को सबसे बड़ी चुनौती देनी है. इसे देखते हुए वह अपनी करंसी में हर दिन नए-नए प्रयोग कर रहा है. अमेरिका जिस हिसाब से दुनिया के देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता है, उससे निपटने के लिए चीन को सबसे अच्छा जरिया डिजिटल करंसी ही लग रही है. करंसी डिजिटल हो जाए तो प्रतिबंधों का कोई असर नहीं होगा. चूंकि डिजिटल करंसी बैंकों से नहीं जुड़ी होती है, इसलिए बिना किसी रोक-टोक उसे कहीं भी चला सकते हैं. ईरान, नॉर्थ कोरिया और रूस जैसे देशों में अमेरिकी प्रतिबंधों की काट के लिए चीन डिजिटल करंसी पर जोर दे रहा है.
लांचिंग पर अभी सस्पेंस
चीन दोनों तरह की मुद्रा डिजिटल युआन और अपने इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट प्लेटफॉर्म जैसे कि अलीपे और वीचैट के जरिये पूरी दुनिया में अपना प्रभाव जमाना चाहता है. जानकार मानते हैं कि डिजिटल करंसी की मदद से चीन अफ्रीका, मध्य पूर्व के देशों और उत्तर पूर्व एशिया में अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहता है. हालांकि अभी यह साफ नही है कि चीन डिजिटल युआन को कब राष्ट्रीय स्तर पर लांच करेगा और डिजिटल करंसी के लिए क्या नियम होंगे. कहा जा रहा है कि बीजिंग ओलंपिक तो यह माजरा पूरी तरह से साफ हो जाएगा.