ये बात है साल 1968 की जब हेमा मालिनी (Hema Malini) अपने करियर के पीक पर थीं. हेमा मालिनी की अदाकारी और उनके हुस्न के लाखों दीवाने हुआ करते थे, उनका ऐसा ही एक दीवाना था जो सिर्फ उन्हें देखने के लिए पाकिस्तान से मुंबई आया था. वो शख्स हर रोज हेमा मालिनी के घर के बाहर बैठा करता था, ये सोच कर कि आते-जाते कभी तो हेमा से उसकी मुलाकात होगी. कई दिन बीत गए लेकिन वो आदमी हेमा से मिल नहीं पाया.
फिर एक रात वो आदमी हेमा मालिनी के घर में घुस गया. हेमा के घर में काम करने वाली महिला ने उसे देख कर चोर-चोर का शोर मचा दिया, सब जाग गए. उस आदमी ने सोचा कि अब मेरी पिटाई होनी पक्की है और घबरा कर टेबल पर पड़ा चाकू उसने उठा लिया. घर के नौकरों ने उस आदमी को पकड़ लिया, हेमा के पिता इतने घबरा गए कि उन्होंने पुलिस को फोन करना चाहा, लेकिन वो फोन तक पहुंच पाते उससे पहले ही उन्हें हॉर्ट अटैक आ गया.
अंतिम सांसे ली
डॉक्टर को बुलाया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. हेमा मालिनी के पिता ने अपने अंतिम सांसे ली और इस दुनिया से चले गए. इस घटना के बाद हेमा मालिनी को एहसास हुआ कि अगर ये घटना न हुई होती तो शायद पापा कुछ और दिन हमारे साथ रहते. पिता की मौत का हेमा पर इतना गहरा असर पड़ा कि वो कई सालों तक अपने आपको पिता के निधन का जिम्मेदार समझती रहीं. हेमा को ये लगने लगा था उनकी कामयाबी की वजह से उन्होंने अपने पिता को खो दिया.