ओलिंपिक खेलों में बुल्गारिया के वेटलिफ्टर नैम सुलेमांगलो (Naim Suleymnoglu) को एक बड़ा चैंपियन माना जाता है. वर्ल्ड चैंपियनशिप हो या ओलिंपिक (Olympic) उन्होंने हर बड़े इवेंट में गोल्ड मेडल जीता. हालांकि उनके करियर की कहानी बेहद ही उलझी हुई है. वह पूरी जिंदगी अपनी पहचान के लिए संघर्ष करते रहे. जिस देश में वह पैदा हुए उस देश की जगह उन्होंने किसी ओऱ देश की ओर से ओलिंपिक में हिस्सा लिया और अपना नाम बनाया.
नैम ने सात बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा उन्होंने ओलिंपिक में तीन गोल्ड मेडल जीते और साथ ही कई वर्ल्ड रिकॉर्ड भी कायम किए. उन्होंने साल 2001 में ओलिंपिक ऑर्डर से सम्मानित किया गया जो खास खिलाड़ियों को ही दिया जाता है. वह पहले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने अपने वजन से ढाई गुना ज्यादा वजन उठाया था.
बुल्गारिया से तुर्की का मुश्किल सफर
नैम सुलेमागलो का जन्म बुल्गारिया में हुआ था. उन्होंने 10 साल की उम्र में वेटलिफ्टिंग शुरू की थी. 14 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया था. वह 1983 में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने के बाद वह 1984 में लॉस एंजेलेस हुए ओलिंपिक खेलों में जीत के दावेदार माने जा रहे थे हालांकि बुल्गारिया ने इन खेलों का बाहिष्कार किया था जिसकी वजह से वह हिस्सा नहीं ले पाए.
वह धीरे-धीरे लाइट ब़डी वेट में बड़ा नाम गए थे उस समय सरकार के नियमों के कारण नैम को अपना नाम बदलना पड़ा. इसके बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर तुर्की की भाषा में रख लिया. इन सब अनुभवों के बाद नैम ने बुल्गारिया को छोड़ने का फैसला किया. साल 1986 में वह वर्ल्ड कप खेलने मेलबर्न पहुंचे. कुछ दिन तक छुपे रहे और फिर वहां किसी तरह से वह तुर्की की एंबेसी पहुंचे. जब एंबेसी ने यह बात तुर्की के प्रधानमंत्री को बुलाया तो उन्होंने उन्हें अपने देश बुला लिया.
तुर्की के लिए ओलिंपिक में बनाए कई रिकॉर्ड
तुर्की चाहता था कि नैम उनके देश के लिए खेले. हालांकि तुर्की का नियम था कि दूसरे देश की नगारिकता हासिल करने के तीन साल के अंदर तक कोई भी दूसरे देश के लिए ओलिंपिक में नहीं उतर सकता. नैम के लिए तुर्की ने बुल्गारिया को एक मिलियन डॉलर दिए थे ताकी वह इस नियम में बदलाव कर सके. 1988 के सियोल ओलिंपिक में उन्होंने पहली बार हिस्सा लिया और अपने पूर्व साथी बुल्गारिया के स्टिफन टोपोरुव को मात दी और गोल्ड मेडल हासिल किया. उन्होंने स्नैच के आखिरी दो अटेंप्ट में वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किए और पहला गोल्ड जीता. उनका यह प्रदर्शन तब तक का सबसे दमदार प्रदर्शन माना जाता है. इसके बाद नैम ने अगले दो ओलिंपिक में भी लगातार दो गोल्ड मेडल जीते थे.