किसी भी जातक की कुंडली में पितृदोष को अशुभ माना गया है क्योंकि इससे न सिर्फ उसके सौभाग्य में कमी आती है, बल्कि उसे जीवन में तमाम तरह के कष्ट एवं दु:खों का सामना करना पड़ता है. लग्न एवं लग्नेश दोनों में पितृदोष से संबंधित ग्रहों-भावेशों से पीड़ित होने पर जातक पितृदोष के प्रभाव में होता है. जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष पाया जाता है, अक्सर उनके काम में कोई न कोई अड़चन अक्सर आती है. उसके जीवन बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. आर्थिक दिक्कतों के साथ उसके परिवार में सामंजस्य की कमी पाई जाती है. आइए जानते हैं कि पितृदोष से मुक्ति पाने का महाउपाय –
- यदि आपकी कुंडली में पितृदोष है तो उसकी शान्ति के लिए आपको अपने माता-पिता या फिर उनके समान व्यक्तियों को कभी भी कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए, बल्कि उनकी अपने सामथ्र्य के अनुसार खूब सेवा करके हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए.
- पितृदोष को दूर करने के लिए प्रत्येक अमावस्या पर पितरों के निमित्त भोग लगाएं और पितृस्तोत्र का पाठ करना चाहिए.
- पितृदोष के दुष्प्रभाव से बचने के लिए पांचमुखी, सात मुखी, आठमुखी और बारहमुखी रुद्राक्ष एक साथ धारण करें. यदि ये उपलब्ध न हो पाए तो आप नवग्रह रुद्राक्ष माला भी धारण कर सकते हैं.
- पितृदोष की शांति के लिए गया आदि पावन तीर्थ स्थलों पर जाकर विधि-विधान से पिण्डदान करना चाहिए.
- कुंडली में पितृदोष को दूर करने के लिए तिल से होम और ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए.
- कुंडली से पितृदोष को दूर करने के लिए किसी योग्य पंडित के द्वारा विधि-विधान से पितृ पूजन करना चाहिए.
- पितृदोष के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मन्दिरों में जाकर भजन-कीर्तन आदि करना चाहिए.
- कुंडली में पितृदोष को दूर करने के लिए इससे सम्बन्धित ग्रह के मंत्र, स्तोत्र, कवच आदि का पाठ करना चाहिए.
- पितृदोष को दूर करने और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए प्रतिदिन की जाने वाली पूजा में पितरों से जाने-अनजाने हुई गलतियों की क्षमा याचना करें.
- पितृदोष को दूर करने के लिए किसी मंदिर में लगे पीपल के पेड़ पर दूध-जल मिलाकर जल अर्पित करें. साथ ही शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाएं.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)