मधुमेह की समस्या लोगों में आजकल तेजी से देखी जा रहा है. हर एक उम्र के लोग इस समस्या से ग्रसित नजर आ रहे हैं. पिछले एक दशक में डायबिटीज या फिर मधुमेह का खतरा काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा गया है. डायबिटीज के मुख्य चार प्रकार होते हैं, टाइप-1, टाइप -2, गर्भकालीन मधुमेह और प्रीडायबिटीज की होती है, इसमें भी टाइप-2 को सबसे खतरनाक प्रकार माना जाता है. टाइप-2 मधुमेह के रोगियों में इंसुलिन प्रतिरोध और रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि होना सबसे सामान्य माना जाता है, जो समय के साथ संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है.
आपको बता दें कि उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ इन रोगियों के लिए लाभदायक होते हैं. दरअसल ये रक्त में शर्करा के टूटने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करते हैं. आपको बता दें कि ऐसे रोगियों के लिए बैंगन काफी फायदेमंद होता है. ऐसे में बैंगन भारत में अलग अलग आकार में हर जगह पाई जाने वाली सब्जी है.बैंगन को स्टैंडअलोन सब्जी के रूप में भी खाया जाता है. अमूमन लोग बैंगन का भरता, चिप्स आदि का सेवन करते हैं.सांभर में भी इसका यूज होता है, तो अगर आपको मधुमेह है तो क्या आप बैंगन का सेवन कर सकते हैं?
डायबिटीज के लक्षण
बार-बार प्यास का लगना और बार-बार ही पेशाब आना. इसे पॉल्यूरिया कहते हैं, अचानक से वजन घिरना, साथ ही जल्दी थकावट महसूस होना. महिलाओं में इसके लक्षण एक और तरीके से दिखता है, जैसे बार-बार योनि संक्रमण होना और भूख का भी अधिक लगना.
बैंगन में मौजूद पौष्टिक तत्व
मधुमेह रोगी के बैंगन काफी उपयोगी होता है. ये रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने का काम करता है. आपको बता दें कि बैंगन एक गैर-स्टार्च वाली सब्जी है. यही कारण है कि ये मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक होती है.
बैंगन मधुमेह रोगियों का है बैंगन?
कहा जाता है कि बैंगन डायबटीज रोगियों के लिए कोलेस्ट्रॉल मुक्त होता है और खास बात ये है कि ये हृदय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है. बैंगन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और यह अन्य कार्ब युक्त खाद्य पदार्थों की तुलना में रक्त शर्करा को जल्दी नहीं बढ़ाता है, यही कारण है कि मधुमेह के रोगी इसका सेवन कर सकते हैं.
हार्ट डिजीज से भी रखें दूर
डायबिटीज में बैंगन का सेवन करने से आपकी बॉडी में एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा बढ़ती है. एंटी ऑक्सीडेंट की मदद से बॉडी फ्री रेडिकल्स से हुए डैमेज से बचता है. इस कारण से हार्ट डिजीज की का खतरा भी कम होता है.