सनातन धर्म में बनारस शहर का विशेष महत्व है। इसकी प्रसिद्धि देश-विदेश में फैली है। इसके चलते हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक बनारस घूमने आते हैं। वर्तमान समय में कोरोना महामारी के चलते पर्यटकों में कमी आई है। इसके बावजूद काफी संख्या में श्रद्धालु बनारस आते हैं। इसके अलावा, दक्षिण भारत का बनारस भी धार्मिक और ऐतिहासिक विशेषताओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। खासकर वास्तु कला के प्रेमी अपने जीवन में एक बार बनारस घूमने जरूर जाते हैं। अगर आप भी आने वाले समय में घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आप दक्षिण भारत में बनारस के नाम से मशहूर बेलूर शहर की यात्रा कर सकते हैं। आइए, बेलूर के बारे में सब कुछ जानते हैं-
दक्षिण भारत का बनारस
बेलूर को दक्षिण भारत का बनारस कहा जाता है। इतिहास के पन्नों में बेलूर का नाम सुनहरे पन्नों में लिखा है। यह शहर कर्नाटक राज्य में स्थित है और बैंगलोर से 200 किलोमीटर दूर है। बेलूर में कई धार्मिक स्थल हैं, जो अपनी वास्तु-कला विशेषताओं के लिए मशहूर हैं।
हैलेबिडु
आसान शब्दों में हैलेबिडु का अर्थ नष्ट शहर है। होयसल वंश की यह राजधानी थी। इस शहर को द्वारसमुद्र के नाम से भी जाना जाता है। इस शहर में एक म्यूज़ियम है, जो खुले आकाश में है। म्यूज़ियम में आप भगवान शिव जी की नृत्य करती प्रतिमा और मां शारदे की विहंगम प्रतिमा का का दीदार कर सकते हैं। इसके अलावा, हैलेबिडु में कई ऐतिहासिक स्थल हैं।
होयसलेश्वर मंदिर
इस मंदिर का मंदिर 12 वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में भगवान शिव जी की प्रतिमा स्थापित है। यह होयसल सम्राज्य का लैंड मार्क है। बेलूर में सबसे दर्शनीय मंदिर है। मंदिर की वास्तु कला देखने लायक है। जब भी अवसर मिले, एक बार होयसलेश्वर मंदिर जरूर जाएं।
बेलावड़ी
बेलावड़ी कर्नाटक प्रवेश द्वार के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसकी खूबसूरती देखने लायक है। बेलावड़ी में श्री वीर नारायण मंदिर स्थित है। मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी में होयसल वास्तु कला की तर्ज पर हुआ था। आप बेलावड़ी बस से भी जा सकते हैं। इसके लिए निकटतम बस स्टेशन चिकमगलूर है। धार्मिक मान्यता है कि बेलावड़ी में भीम ने बकासुर का वध किया था।