धान की खेती (Paddy farming) करने वाले किसानों के लिए यह सावधान होने का वक्त है. इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट हॉपर (Brown plant hopper) का आक्रमण शुरू हो सकता है. यह कीट धान की पत्तियों से रस चूसकर फसल को भारी क्षति पहुंचाते हैं. इसलिए किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें. अगर कीट मिल रहे हैं तो उसका समाधान करें वरना पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस कीट का सितंबर (September) से लेकर अक्टूबर (October) तक अधिक असर रहता है. इसका जीवन चक्र 20 से 25 दिन का होता है. इस कीट की वजह से धान की पत्तियों के ऊपरी सतह पर काले रंग की फफूंदी उग जाती है. जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया ठप हो जाती है. ऐसा होने से पौधे भोजन कम बनाते हैं और उनका विकास रुक जाता है.यह कीट हल्के भूरे रंग के होते हैं.
प्रभावित फसल को कहते हैं हॉपर बर्न
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसके शिशु ओर कीट दोनों ही पौधों के तने और पत्तियों से रस चूसते हैं. अधिक रस निकलने की वजह से पत्तियों के ऊपरी सतह पर काली फफूंदी उग जाती है. प्रकाश संश्लेषण की क्रिया ठप हो जाती है और इससे पौधों को भोजन कम मिलता है. इस कीट से प्रभावित फसल को हॉपर बर्न कहते हैं.
इस साल महाराष्ट्र (Maharashtra) के कुछ जिलों और पूर्वांचल में ज्यादा बारिश हुई है. ऐसे में धान की फसल में पानी भरा हुआ है. इस समय अगर इनका आक्रमण होता है तो किसानों की मुश्किल बढ़ जाएगी. भारत में लगभग 43 मिलियन हेक्टेयर में धान (Paddy) की फसल होती है.
क्या है समाधान
कृषि वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि खेत में तने पर देखते रहें कि कहीं मच्छर जैसा कोई कीट तो नहीं चिपका है. अगर दो-चार हैं तो कोई बात नहीं. लेकिन ज्यादा हैं तो सबसे पहले पानी सुखा दें और यूरिया का इस्तेमाल कम कर दें. पानी का निकासी का उचित प्रबंधन रहेगा तो अच्छा रहेगा. इससे भी काबू न हो तो पैनीसीलियम फीलीपेंसिस या फिर मेटाराइजियम का छिड़काव कर दें.