ओलिंपिक खेलों में कई ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने अपनी शानदार वापसी के साथ एक मिसाल कायम कर दी है. नैदरलैंड्स की एंकी वैन ग्रुंस्वन (Anky Van Grunsven) इसी की कहानी भी कुछ ऐसी है. एक घुड़सवार के तौर पर उनका सफर शुरुआत में अच्छा नहीं रहा था लेकिन इसके बाद उन्होने न सिर्फ अपनी काबिलियत साबित की बल्कि देश के लिए ऐतिहासिक सफलता हासिल करके शानदार वापसी का उदाहरण पेश किया. उन्होंने बताया कि अगर आप हिम्मत के साथ लगातार मेहनत करें तो हर परिस्थिति को पलटने को दम रखते हैं.
एंकी ने साल 1992 से लेकर 2012 तक 20 सालों में चार ओलिंपिक में हिस्सा लिया है. इस दौरान उन्होंने नौ मेडल हासिल जीते. नौ मेडल में पांच टीम इवेंट के रहे वहीं चार व्यक्तिगत इवेंट के मेडल भी रहे. वहीं वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी उन्होंने नौ मेडल अपने नाम किए. वह नैदरलैंड्स की सबसे कामयाब घुड़सवार बनी.
1988 में टीम के लिए जीत में नहीं निभा पाई थी जिम्मेदारी
एंकी का जन्म नैदरलैंड्स के नॉर्थ बराबैंट में हुआ था. उन्होंने 12 साल की उम्र में घुड़सवारी खास तौर पर ड्रेसेज (घुड़सवारी का एक प्रकार) शुरू किया. धीरे-धीरे वह देश में अपना नाम बनाने में सफल रही .उन्होंने पहली बार 1988 में ओलिंपिक में हिस्सा लिया. वह तब ड्रेसेज के टीम इवेंट में उतरी थी. वह अपनी टीम के लिए सबसे कम अंक लाई थी. नियमों के मुताबिक उनके अंको को टीम के अंको में शामिल नहीं किया गया था. हालांकि इससे अंकी निराश नहीं हुई बल्कि तय किया कि वह देश के लिए मेडल हासिल करके रहेंगी.
नौ मेडल जीतकर रचा था इतिहास
इसके बाद 1992 में उनके ओलिंपिक मेडल का सफर शुरू हुआ जब टीम इवेंट में पहली बार सिल्वर मेडल जीता. वहीं व्यक्तिगत इवेंट में वह चौथे स्थान पर रही थी. इसके अगले साल 1996 में उन्होंने टीम और व्यक्तिगत इवेंट में सिल्वर मेडल जीता. इन सभी इवेंट में वह घोड़े बोनफायर के साथ उतरी थी. वह आखिरी बार इस घोड़े के साथ 2000 में सिडनी में हुए ओलिंपिक में खेलने उतरी और पहला व्यक्तिगत गोल्ड हासिल किया. इसके बाद उन्होंने इसी इवेंट में 2004 और 2008 में गोल्ड मेडल जीता. वह गोल्डन हैट्रिक पूरी करने वाली पहली घुड़सवार बनी थी.
गर्भवती होने के बावजूद ओलिंपिक में जीता मेडल
अपने नौ मेडल के साथ वह ओलिंपिक की सबसे कामयाब घुड़सवार बनी. एक समय पर जिसके कम अंको के कारण टीम का हिस्सा तक नहीं माना गया अपनी मेहनत से उन्होंने अपनी तकदीर बदल दी. सिर्फ ओलिंपिक ही नहीं वर्ल्ड चैंपियनशिप और ड्रेसेज वर्ल्ड कप में भी अपना ऐसा वर्चस्व कायम किया जिसे उस समय कोई चुनौती नहीं दे सका. साल 2004 में जब वह ओलिंपिक में खेलने उतरी थी तब वह गर्भवती थी. उन्होंने इसके अगले साल ही अपने बच्चे के पिता और कोच जानेसन से शादी कर ली. बीजिंग ओलिंपिक से एक साल पहले वह फिर मां बनी थी. अपनी जिंदगी में हर मोड़ पर उन्होंने अपनी जिम्मेदारियां निभाई लेकिन खेल को कभी खुद से दूर नहीं किए.