प्रेगनेंसी के दौरान वजन का बढ़ना और कम होना दोनों ही हानिकारक माने जाते हैं. वजन बढ़ने की वजह से जेस्टेशनल डायबिटीज, हाई बीपी का खतरा बढ़ता है. ये स्थिति मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है. वहीं औसत वजन से कम वेट होना भी कम खतरनाक नहीं होता. इसके कारण कॉम्प्लीकेशंस पैदा हो सकते हैं.
वैसे तो वजन की गणना शरीर की लंबाई के आधार पर की जाती है. लेकिन अगर विशेषज्ञों की आम राय पर गौर करें तो कंसीव करने से पहले महिला का वजन कम से कम 45 किलो तो होना ही चाहिए. कंसीव करने के बाद वजन 10 से 15 किलो और बढ़ना चाहिए. अगर इससे कम वजन हो, तो महिला को अंडरवेट माना जाता है. प्रेगनेंसी और अंडरवेट का कॉम्बीनेशन सही नहीं होता. ऐसे में प्री-मैच्योर डिलीवरी या जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना, मिसकैरेज या सी-सेक्शन डिलीवरी का रिस्क बढ़ता है.
वजन कम होने से बच्चे को हो सकता है ये नुकसान
– मां के अंडरवेट होने का मतलब है कि महिला के शरीर में जरूरी पोषक तत्व नहीं पहुंच पा रहे हैं. इसके कारण जन्म के समय बच्चा कुपोषण का शिकार हो सकता है.
– अगर जन्म के समय शिशु का वजन बेहद कम है, तो आगे चलकर वो डायबिटीज या हार्ट संबन्धी समस्याओं का शिकार हो सकता है.
– वजन कम होने के कारण शिशु का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है. ऐसे में वो संक्रमण की गिरफ्त में बहुत तेजी से आता है.
– जन्म के समय वजन कम होने से शिशु को सेरेब्रल पाल्सी, सीखने की क्षमता में दिककत, देखने और सुनने में समस्या हो सकती है.
वजन बढ़ाने के लिए क्या करें
– नाश्ते को स्किप न करें. नाश्ते में प्रोटीनयुक्त आहार जरूर लें.
– भोजन का समय निर्धारित करें. अगर एक साथ ज्यादा नहीं खा पातीं, तो थोड़े थोड़े अंतराल पर कुछ न कुछ खाती रहें.
– किसी भी परिस्थिति में खुद को भूखा न रखें. अपने पास नट्स, ड्राई फ्रूट्स, बिस्कुट और ताज़ा फल आदि हमेशा रखें.
– कैल्शियम के लिए दूध, दही, पनीर आदि लेते रहें.
– उच्च कैलोरी वाली चीजें जैसे अंकुरित अनाज, बीन्स आदि चीजें लेते रहें.