प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. इन बदलावों के बीच अक्सर महिला में तनाव, गुस्सा, मूड स्विंग्स जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. अगर ये लक्षण थोड़े बहुत हों, तो इन्हें इग्नोर किया जा सकता है. लेकिन अगर ये ज्यादा हो जाएं तो डिप्रेशन का रूप ले लेते हैं.
ये डिप्रेशन कुछ हफ्तों या महीनों तक हो सकता है. लेकिन अगर ये गंभीर हो जाए तो मां और बच्चे दोनों के लिए परेशानी की वजह बन सकता है. अधिक तनाव की वजह से कई बार डिलीवरी के समय कई तरह के कॉप्लीकेशंस हो सकते हैं. साथ ही इससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास भी अवरुद्ध हो सकता है.
ये होते हैं डिप्रेशन के लक्षण
बेवजह रोना, गुस्सा और चिड़चिड़ापन
नींद न आना या बहुत ज्यादा सोना
हर वक्त थकान महसूस करना
याद्दाश्त कमजोर होना
सुबह के समय उदासी
खुद को को अयोग्य या दोषी मानना
स्वभाव में नीरसता
बार-बार मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना
कैसे करें बचाव
1. डिप्रेशन दूर करने के लिए नौ घंटे की नींद लें. नींद पूरी होना बहुत जरूरी है. अगर प्रेगनेंसी की वजह से नींद एक बार में पूरी नहीं होती, तो टुकड़ों में पूरी करें. नींद पूरी होगी तो दिमाग तरोताजा होगा और नकारात्मक भाव मन में कम आएंगे.
2. सुबह के समय कुछ देर के लिए धूप में जरूर बैठें. इससे आपको विटामिन डी भी मिलेगा और डिप्रेशन भी कम होगा. विटामिन डी बच्चे की हड्डियों के विकास के लिए बहुत जरूरी है.
3. अपने दिमाग को डायवर्ट करने के लिए किसी न किसी एक्टिविटी में खुद को व्यस्त रखें. आपको गाने, वाद्य यंत्र बजाने, स्कैचिंग, पेंटिंग आदि जिसका भी शौक हो, वो काम जरूर करें.
4. रोजाना सुबह और शाम कुछ देर जरूर टहलें. साथ ही योग और मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं. प्रेगनेंसी में विशेषज्ञ की सलाह लेकर योगासन करें.
5. अगर समस्या ज्यादा है तो विशेषज्ञ से परामर्श करें ताकि उस समस्या को समय रहते नियंत्रित किया जा सके.