जब एक घर में नन्हीं किलकारियां गूंजती हैं तो पूरे घर में खुशी का माहौल छा जाता है। बच्चे की देखभाल से लेकर उसका नाम रखने तक में अभिभावकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किसी भी अभिभावक की यही चाहत होती है कि उनके बच्चे का नाम एकदम अलग व सबसे अच्छा हो। आखिरकार नाम ही उसकी पहचान होता है। अगर बच्चे के नाम का चयन सोच-समझकर न किया जाए तो लोग बाद में बच्चे का मजाक उड़ाते हैं। कुछ बच्चों के नाम ऐसे भी होते हैं जिसका उच्चारण करने में उन्हें ही समस्या होती है जिससे दूसरों के सामने वे अपना परिचय देने से कतराते हैं। इसलिए बच्चे का नाम रखते वक्त कुछ गलतियां करने से बचें-
कभी भी बच्चे का नाम किसी प्रसिद्ध स्थान या शहर के नाम पर न रखें। इससे बच्चों को बाद में समस्या होती है।
बच्चे का नाम अलग रखने की सोच रखना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए बच्चे का नाम ऐसा न रखें, जिसे बोलने में समस्या हो और उसका उच्चारण भी बेहद कठिन हो। उदाहरण के तौर पर, सौरभ, सुमन जैसे नाम बोलने में आसान होते हैं, वहीं कुलश्रेष्ठ व याज्ञवल्क्य कुछ ऐसे नाम हैं, जिनका उच्चारण करने में समस्या होती है।
अक्सर लोग बच्चे से उसका नाम पूछने के बाद उसका मतलब पूछते हैं। अगर उस नाम का शाब्दिक अर्थ न हो या फिर उसका शाब्दिक अर्थ अच्छा न हो तो इससे बच्चे को जिंदगीभर शर्मिन्दगी उठानी पड़ती हे। इसलिए ध्यान रखें कि नामकरण के दौरान आप जो नाम रख रहे हैं उसका अर्थ भी अच्छा हो।
अपने लाडले-लाडली का नाम ऐसा भी न रखें जो लोगों के लिए हास्यास्पद बन जाये। साथ ही पुराने जमाने के नाम रखने से बचें। इससे बच्चा दूसरों के समक्ष हंसी का पात्र बनकर रह जाएगा।