बारिश के दिनों ( Rainy Days) में कई तरह के बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। ऐसे में अगर भोजन और पानी की स्वच्छता का ध्यान ना रखा जाए तो आप टाइफायड (Typhoid Fever) के शिकार हो सकते हैं। टाइफायड (Typhoid) को मियादी बुखार, आंत्र ज्वर या मोतीझरा नाम से भी जाना जाता है। यह संक्रमित पानी और भोजन से फैलने वाली बीमारी है, जो साल्मोनेला टाइफी, साल्मोनेला पैराटाइफी ए और बी बैक्टीरिया से होता है। अगर इस पर शुरुआत में ध्यान न दिया जाए तो यह आगे चलकर काफी भयानक रूप ले लेता है। आइए जानते हैं, इस बीमारी के लक्षण और ट्रीटमेंट्स के बारे में।
पहले सप्ताह के प्रमुख लक्षण (Typhoid Fever Symptoms)
1-टाइफायड का सबसे कॉमन लक्षण लगातार तेज बुखार आना है।
2-ठंड लगने के साथ-साथ बुखार में उतार-चढ़ाव आता रहता है।
3- पेट दर्द
4-वॉमिटिंग
5-थकावट-कमजोरी महसूस होना
6-माथे में दर्द
7-बदन दर्द
8-भूख कम लगना
9-मल में खून आना
दूसरा सप्ताह
1-दूसरे सप्ताह में चेस्ट के निचले हिस्से और पेट पर रेड रैशेज या स्पॉट्स पड़ते हैं
2-दिल की धड़कन धीमी होने लगती है, जिसे ब्रैडिकार्डिया कहते हैं।
3-लिवर में सूजन आ जाती है।
4-मरीज को कब्ज हो जाता है, जिससे आंतों में बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादा बढ़ जाता है।
तीसरा सप्ताह
बैक्टीरिया के टॉक्सिन स्राव की वजह से तीसरे सप्ताह में डायरिया होता है और वजन कम होने लगता है। मरीज की आंतों में अल्सर बन सकता है।
ट्रीटमेंट (Typhoid Fever Treatment)
1-माइल्ड स्टेज
जनरल फिजीशियन डॉ. नरेश कुमार बताते हैं कि टाइफायड होने पर डॉक्टर की सलाह से ही इसका उपचार करवाना चाहिए। माइल्ड स्टेज पर ओरल एंटीबॉयोटिक्स मेडिसिन दी जाती है। मरीज को एंटीबॉयोटिक्स मेडिसिन का पूरा कोर्स करना जरूरी है, वरना ठीक होने में समय लग सकता है या दोबारा उबर सकता है। अगर ओरल मेडिसिन देने पर भी पेशेंट की कंडीशन में सुधार ना हो रहा हो तो अस्पताल में एडमिट करने की जरूरत पड़ती है।
2-सीवियर या कॉम्प्लीकेटेड स्टेज
डॉ. नरेश कुमार का कहना है कि सीवियर या कॉम्प्लीकेटेड मामलों में मरीज को ब्लड इंट्रावेंस या आईवी के जरिए ग्लूकोज-आईवी फ्लयूड और एंटीबॉयोटिक इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इसके अलावा सिंपटोमैटिक थेरेपी भी दी जाती है। सीवियर मामलों में मरीज को स्टेरॉयड दिए जाते हैं। डिस्चार्ज होने के बाद भी मरीज को अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए ताकि सीवियर कॉम्लीकेशन ना हों। टाइफायड ठीक होने के 3 महीने बाद टाइफायड की वैक्सीन जरूर लगवा लेनी चाहिए, ताकि दोबारा ना हो।