teensexonline.com
Saturday, September 28, 2024
No menu items!
HomeLifestyleHealthबाल रंगकर कैंसर को दावत देने से तो अच्‍छा है कि सफेद...

बाल रंगकर कैंसर को दावत देने से तो अच्‍छा है कि सफेद बालों को स्‍टाइल बना लिया जाए

400 बिलियन डॉलर की फैशन और कॉस्‍मैटिक इंस्‍डट्री का काला चेहरा वैज्ञानिक रिसर्च और स्‍टडी में उतना और उस रूप में नहीं दिखाई देता, जितना कि होना चाहिए. दो साल पहले डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में एक सर्वे हुआ कि देश में कितने लोग अपने बाल रंगने के लिए केमिकल्‍स डाय का इस्‍तेमाल करते हैं. सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले थे. पता चला कि उनके देश में 75 फीसदी औरतें और 18 फीसदी पुरुष अपने बाल रंगने के लिए हेयर कलर का इस्‍तेमाल कर रहे थे.

डेनमार्क की बहुसंख्यक आबादी का प्राकृतिक हेयर कलर ब्‍लांड है. उनके यहां काले और सफेद बालों की भी समस्‍या नहीं है और न ही बालों के रंग का बुढ़ापे और जवानी के साथ कोई सीधा रिश्‍ता है. डेनमार्क दुनिया के सबसे फेमिनिस्‍ट देशों में से एक है, जहां स्‍त्री शिक्षा और नौकरी में उनकी हिस्‍सेदारी 50 फीसदी है यानि एकदम मर्दों के बराबर. फिर भी उस देश की औरतें अपने बाल रंगने के मामले में मर्दों से तकरीबन 60 गुना आगे थीं.

एक दूसरी स्‍टडी कहती है कि एक अकेले अमेरिका में सिर्फ हेयर कलर्स का मार्केट 2.8 बिलियन डॉलर का है, जहां की 48 फीसदी आबादी अपने बाल रंग रही है.

और ये तब है, तब इंटरनेशनल एजेंसी ऑफ रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) की एक स्‍टडी कहती है कि हेयर डाय और हेयर कलर्स में इस्‍तेमाल होने वाले कुछ केमिकल म्‍यूअेजेनिक और कार्सिनोजेनिक होते हैं. सामान्‍य भाषा में कहें तो इनसे कैंसर होने का खतरा है. लेकिन कैंसर का डर लोगों की फैशन की भूख को मिटा नहीं पा रहा.

हाल ही में भारत में तारक मेहता का उल्‍टा चश्‍मा फेम हीरो दिलीप जोशी की बेटी नियति की शादी हुई. यह शादी कई दिनों तक सोशल मीडिया में चर्चा में बनी रही क्‍योंकि दुलहन ने शादी के लिए सजते हुए अपने सफेद बाल काले नहीं रंगे थे. दुल्‍हन के सारे साज-श्रृंगार के वह अपने सफेद बाल लिए शादी के मंडप में खड़ी थीं.

इसके पीछे उनकी क्‍या वजह और क्‍या कहानी थी, ये तो पतो नहीं, लेकिन हां, बहुत सारे लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्‍हें खूब सराहा.

सोचकर देखिए कि अगर हम जैसे हैं, वैसे ही खुद को स्‍वीकार करें और उसमें ही खुशी महसूस करें तो इस बिलियन डॉलर की कॉस्‍मैटिक इंस्‍डट्री का क्‍या होगा, जो हमें रोज ये एहसास दिला रही होती है कि आप जैसे हैं, वैसे ठीक नहीं हैं. सुंदर होने की परिभाषा और पैरामीटर हम आपको बताएंगे.

ये वही कंपनियां हैं, जो सांवले लोगों के देश में गोरे होने और गोरे लोगों के देश में सांवले होने की क्रीम बेचती रहती है.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments