उत्तराखंड के रूपकुंड शहर में स्थित कंकाल झील भारत के रहस्यमयी स्थनों में से एक है। कहा जाता है की कुछ निर्धारित समय में रूपकुंड झील का बर्फीला पानी पिघलने से 200 मनुष्यों के छिपे हुए कंकाल के अवशेष देखने को मिलते हैं। वैज्ञानिको द्वारा किये गये शोधों के अनुसार यह कंकाल लगभग 1200 साल पहले के माने जाते हैं। इस क्षेत्र की प्रसिद्ध लोक कथाओं के अनुसार यह कंकाल राजा जसधावा और उनके सहयोगियों के माने जाते है जो नंदा देवी को श्रद्धांजलि देने गए थे। अभिषेक के लिए संगीत बजाते और नृत्य करते समय देवता उनसे क्रोधित हो गए और भूस्खलन की वजह से उनकी मृत्यु हो गयी थी। रूपकुंड का ट्रेक अभी भी उत्तराखंड में प्रसिद्ध ट्रेकिंग मार्गों में से एक है।