Friday, November 8, 2024
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भारत में ऐसे 5 जानवर जिन्हें गायब होने से पहले आपको जरूर देखना चाहिए

मनुष्य ग्रह को जानवरों और कई दूसरी प्रजातियों के साथ शेयर करता है जो मिलकर पृथ्वी पर जीवन चक्र बनाते हैं. इन प्रजातियों में से हर एक को दुनिया में जीवन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभानी है.

इसलिए, उनकी देखभाल करना और शांति से कोएग्जिस्ट की जरूरत है. इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, जानवरों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए हर साल 4 अक्टूबर को “वर्ल्ड एनिमल डे” मनाया जाता है.

पहली बार 1925 में आयोजित इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर में पशु कल्याण के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करना है. लक्ष्य सभी जानवरों-जंगली या घरेलू- के जीवन को मान्यता और जागरूकता के माध्यम से सुधारना है.

“वर्ल्ड एनिमल डे” 2021 के मौके पर, भारत में 5 लुप्तप्राय जानवरों पर एक नजर डालें, जिन्हें गायब होने से पहले आपको देखना चाहिए.

1. बंगाल टाइगर

बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है और रॉयल बंगाल टाइगर इसकी सबसे शानदार प्रजातियों में से एक है. ये 10 फीट लंबी काया के साथ सबसे बड़ी जंगली बिल्लियों में से एक है, जिसका वजन 550 पाउंड है. ज्यादातर सुंदरबन नेशनल पार्क में पाया जाता है, इसे रणथंभौर नेशनल पार्क, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, बांधवगढ़ नेशनल पार्क में भी देखा जा सकता है.

2. घड़ियाल

घड़ियाल भारत में पाए जाने वाले तीन मगरमच्छों में से एक है. गंगा नदी भारत में घड़ियाल के प्राकृतिक आवासों में से एक है, जो चंबल, इरावदी और ब्रह्मपुत्र नदियों में भी पाई जाती है. घड़ियाल को भारत में सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में लिस्टेड किया गया है, ज्यादातर प्रदूषित नदी के पानी की वजह से उनकी मृत्यु के चलते.

3. एशियाई शेर

एशियाई शेर दुनिया में शेरों की सबसे बड़ी प्रजातियों में से एक है. प्रजातियों की पूरी आबादी अब केवल भारत में पाई जा सकती है और अब ये गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान तक ही सीमित है. आईयूसीएन रेड लिस्ट ने 2010 के बाद से इसकी आबादी में लगातार कमी की वजह से जानवर को लुप्तप्राय घोषित किया है. 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, देश में बचे एशियाई शेरों की कुल संख्या अब सिर्फ 674 है.

4. लाल पांडा

एक प्यारे लाल-भूरे, एरबोरियल मैमल, पूर्वी हिमालय के मूल निवासी, लाल पांडा अभी तक एक और प्रजाति है जो अवैध शिकार और निवास स्थान के नुकसान की वजह से तेजी से घट रही है. इसे सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल के खांगचेंदजोंगा और नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान में देखा जा सकता है.

5. एक सींग वाला गैंडा

अपने सींगों के औषधीय गुणों के लिए शिकार किए गए, एक सींग वाले गैंडे ने पिछले कुछ वर्षों में एक महत्वपूर्ण गिरावट दिखाई है. इन लुप्तप्राय भारतीय प्रजातियों को ज्यादातर काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, दुधवा टाइगर रिजर्व, पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में देखा जा सकता है, भारत और नेपाल में हिमालय की तलहटी के अलावा.

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