मेडिटेशन आपके स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक है, इसके बारे में इंटरनेट पर हजारों आर्टिकल पड़े हुए हैं. उसके बाद भी ध्यान लगाने वाले लोगों की तादाद बहुत कम है. इसके पीछे का कारण मेडिटेशन से जुड़ी गलतफहमियां (Misconception of Meditation) हैं. मेडिटेशन ना करने वाले लोग नहीं जानते हैं कि ध्यान लगाने से जुड़ी गलतफहमियों पर विश्वास करके और मेडिटेशन से दूरी बनाकर वह कितना बड़ा नुकसान उठा रहे हैं. वह अपने स्वास्थ्य को ऐसे फायदे से दूर कर रहे हैं, जो कि जीवन को एक सही मार्ग पर ला सकता है. आइए जानते हैं कि मेडिटेशन से जुड़ी गलतफहमियां क्या हैं?
मेडिटेशन के बारे में गलतफहमियां (Misconception about Meditation)
लोग ध्यान लगाने से जुड़ी इन गलतफहमियों पर यकीन करते हैं और जिंदगीभर ध्यान लगाने के फायदों से दूर रहते हैं. जैसे-
मेडिटेशन करने में समय लगता है
लोगों को लगता है कि मेडिटेशन काफी लंबी प्रक्रिया है. मगर यह गलतफहमी है. हां, आप मेडिटेशन में जितना ज्यादा समय देंगे, उतना ज्यादा फायदेमंद होगा. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कम समय ध्यान लगाने का कोई फायदा नहीं है. आप दिन में 15 मिनट या आधा घंटा मेडिटेशन करके भी लाभ पा सकते हैं.
सिर्फ मानसिक लाभ मिलता है
लोगों के बीच यह भी गलतफहमी है कि ध्यान लगाने से सिर्फ मानसिक लाभ ही मिलता है. मेडिटेशन से आपका ब्लड प्रेशर, मसल्स रिलैक्स जैसे शारीरिक फायदे भी मिलते हैं. वहीं, मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होने से मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, दिल के रोग, दिमाग के रोग आदि से भी बचाव होता है.
मेडिटेशन करना व्यर्थ है
कुछ लोगों को लगता है कि ध्यान लगाना बेकार है. इसका कोई फायदा नहीं है. क्योंकि, मेडिटेशन करने वाले व्यक्ति के अंदर उन्हें आंखों से कोई बदलाव होता नहीं दिखता है. दरअसल, मेडिटेशन का फायदा तबतक नहीं दिखता, जबतक कि आप उसे खुद करना शुरू ना कर दें. इसका आनंद करने से ही पता लगेगा.
मेडिटेशन में फोकस नहीं करना होता, सिर्फ आंख बंद करनी होती है
ध्यान लगाते हुए आपको फोकस करना ही होगा. इसके बिना आप कोई फायदा नहीं उठा सकते हैं. मेडिटेशन के दौरान फोकस करना आवश्यक है, तभी इसका फायदा आपको मिल पाएगा.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.