राजकपूर की चर्चा उनकी फिल्म मेकिंग स्टाइल के साथ उनकी नायिकाओं के साथ भी होती रही है। भारतीय फिल्मों के महान शो मैन राजकपूर के बारे में कहा जाता है कि वे पर्दे पर अपने को ज्यादा प्रोजेक्ट करते थे। नायिका बस उसमें शोपीस के लिए होती थीं। लेकिन इस बात में आंशिक सच्चाई है।
क्या आप वैजयंती माला के बिना ‘संगम’ की चर्चा कर सकते है या ‘आवारा’ के लिए नर्गिस को भुला सकते हैं? ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में राजकपूर और प्राण के साथ पद्मिनी को भुला सकते हैं? क्या ‘मेरा नाम जोकर’ में जोकर की भावनाओं को अलग-अलग ढंग से देखती तीन नायिकाएं आपको याद नहीं आती।
इतना ही नहीं जब उन्होंने अपनी फिल्मों में दूसरों को नायक बनाया तब भी जीनत अमान, पद्मिनी कोल्हापुरी और मंदाकिनी के खूब चर्चा रही। उनकी कई नायिकाओं ने भी जिस्म की खूब नुमाइश की। राजकपूर की नायिकाओं की एक खास बात ये थी कि वे सफेद पोशाक में खासतौर पर दिखाई पड़ी। फिर वह चाहे निम्मी हों या मंदाकिनी या डिंपल। आइए राज और उनकी हीरोइनों के बारे में कुछ जाने
नर्गिस दत्त
राज और नर्गिस फिल्मों में साथ ही नहीं आए, बल्कि उनकी रोमांटिक जोड़ी भी बनी। ‘आह’, ‘बरसात’, ‘आवारा’ ‘श्री 420’ जैसी फिल्मों में राज नर्गिस की जोड़ी सिने दर्शकों को बहुत भाई। राज और नर्गिस का वायलेन हाथों में लिया एक रोमांटिक पोज तो आर के बैनर का सिंबल ही बन गया।
फिल्म जगत में बहुत से यादगार सीन क्रिएट किए हैं इस जोड़ी ने। ‘आवारा’ के स्वप्न दृश्य, या फिर ‘बरसात’ में कश्मीर की वादियों के रोमाटिक दृश्य। राज और नर्गिस का प्रेम पर्दे पर भी झलकता था। “प्यार हुआ इकरार हुआ”, “मुझे किसी से प्यार हो गया”, “दम भर जो उधर मुंह फेरे” जैसे कई तराने राज नर्गिस के प्यार की अभिव्यक्ति है। राज की फिल्मों में नर्गिस बहुत सम्मान के साथ पर्दे पर आई।
बैजयंती माला
‘संगम’ में बैजयंती माला राजकपूर की हीरोइन थीं। कहते हैं कि इस फिल्म तक आते आते राज को अपनी बढ़ती उम्र का अहसास होने लगा था। शायद इसी की अभिव्यक्ति थी फिल्म का यह गीत “मैं क्या करूं राम मुझे बुड्ढा मिल गया”। लेकिन राज तो राज थे। उनके बारे में यही कहा जाता था कि वह फिल्म में अपनी हीरोइनों से प्रेम करने लगते थे।
कहते हैं कि एक पार्टी में बैजयंती माला को लेकर राज कपूर, राजेंद्र कुमार से झगड़ भी पड़े थे। कुछ किस्से हैं इस फिल्म के। एक बार बैजयंती माला शूटिंग के लिए समय नहीं निकाल पा रही थी, तब राज ने एक खत उन्हें मद्रास भेजा था, संगम होगा या नहीं। वैसे त्रिकोण प्रेम पर बनी ‘संगम’ बहुत सराही गई थी।
साधना
साधना और राजकपूर में आपस में बोलचाल नहीं थी। किस कारण यह पता नहीं। फिर भी दोनों ने एक फिल्म की। ‘दूल्हा दुल्हन’। दोनों शूटिंग में आते थे, पर बात नहीं करते थे। फिल्म कोई बहुत सफल नहीं रही। उस जमाने में साधना के भी जलवे थे। उसकी हेयर कट की नकल लड़कियां करने लगी थीं। यह फिल्म आर के बैनर के तले नहीं बनी थी। साधना के लिए भी इसमें कुछ कर दिखाने के लिए ज्यादा नहीं था। फिल्म को उतनी शोहरत नहीं मिल सकी। न ही इस राज साधना की जोड़ी को सिने दर्शकों के बीच खासी चर्चा।
नूतन और हेमा मालिनी
‘अनाड़ी’ में नूतन राज कपूर के साथ थीं। फिल्म सफल हुई और फिल्म का गीत संगीत भी। यह फिल्म चली तो जरूर पर नूतन के साथ राज कपूर की जोड़ी वैसी फिट नहीं बैठी जैसी नर्गिस के साथ। नूतन के साथ राजकपूर की जोड़ी हेमा मालिनी के साथ भी बनीं। हेमा ने हिंदी फिल्मों में कदम रखा तो उन्हें नीली आंखों वाला नायक अपना हीरो मिला। हेमा मालिनी और राजकपूर की यह फिल्म आई सपनों का सौदागार। इस फिल्म से हेमा को ड्रीमगर्ल नाम की एक नयी पहचान मिली। राजकपूर और उनकी जोड़ी सिर्फ एक ही फिल्म में बनीं।
पद्ममिनी
दक्षिण की बेहद कामयाब फिल्म अभिनेत्री ने हिंदी फिल्मों की ओर कदम बढ़ाए तो सिने दर्शकों ने उसका जोरदार स्वागत किया। शो मैन राजकपूर ने उसकी काबलियत और प्रतिभा को पहचाना। पद्मिनी उनकी फिल्म ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में आई। वह डाकू की बेटी का रोल करती है और भोले-भाले राज को दिल दे बैठती है।
यही पद्मनी फिर ‘मेरा नाम जोकर’ में भी थीं। पद्मिनी के दोनों अभिनय बहुत सराहे गए। डांस सिक्वेंस या एक्शन में वह लाजवाब थी। ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में उनके संवादों का सिने दर्शकों ने भरपूर मजा लिया। ‘मेरा नाम जोकर में’ सिम्मी, रिबिन किना और पद्मिनी उनसे अलग अलग समय में प्यार करती है। पद्मिनी को थोड़ा एक्सपोज भी किया उन्होंने।
वहीदा, डिंपल और जीनत
तीसरी कसम आर के बैनर की फिल्म नहीं थी। लेकिन शैलेंद्र की फिल्म होने से इसमें आरके बैनर का पूरा प्रभाव था। इस फिल्म की नायिका वहिदा रहमान थीं। यह फिल्म अपने शुरुआती दौर में बहुत सफल नहीं हुई पर इस जोड़ी को दर्शकों द्वारा सराहा गया।
डिंपल कपाड़िया के साथ राजकपूर बतौर फिल्मकार जुडे। उन्होंने डिंपल को लेकर बॉबी फिल्म बनायी। इस फिल्म में डिंपल के नायक ऋषि कपूर थे। बॉबी फिल्म में राज कपूर ने डिंपल कपाड़िया पर वह दृश्य फिल्माया जो सच में उनके साथ नर्गिस को लेकर घट चुका था।
जीनत अमान वैसे ‘हरे राम हरे कृष्णा’ के लिए देवानंद की खोज हैं। लेकिन शो मैने ने उन्हें ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में अलग तरह से प्रस्तुत किया। कहते हैं कि कहानी तो यह लता मंगेशकर पर थी। और एक समय राजकपूर चाहते थे कि संगीतकार जयकिशन और लताजी इस फिल्म में अभिनय करें। लता मंगेशकर तैयार नहीं हुई। आखिर कहानी में कुछ फेरबदल कर राज इस फिल्म में जीनत को सामने लाए।
मंदाकिनी
एक बार राज कपूर ने अपने कुछ साथियों से कहा कि तुम सुबह एक स्थान पर जाना उस जगह तुम्हें आती जाती लड़कियों में जो सबसे सुंदर दिखाई दे उसकी तरफ इशारा करना। साथियों ने जिस लड़की की तरफ इशारा किया, उसे जानकर राजकपूर खुशी से उछल गए। उन्होंने कहा कि यही तो गंगा है। इसका मतलब मेरी खोज सही थी।
उन्होंने अपने तीसरे बेटे राजीव कपूर के साथ मंदाकिनी को लेकर ‘राम तेरी गंगा मैली’ फिल्म बनाई। गंगा की पवित्रता को बिगाड़ने की बात पर फिल्म का संदेश यहां तक पहुंचा कि गंगा को बहुत कम कपड़ों में दिखाने में कहीं हिचक नहीं थी। फिल्मी गंगा के इस रूप को देखने दर्शक एक नहीं दो तीन बार भी टिकट खिड़कियों की तरफ आए। ‘राम तेरी गंगा मैली’ को अच्छी सफलता मिली। लेकिन फिल्म की नायिका मंदाकिनी इस फिल्म से अपने कैरियर को उठा नहीं पाई।
राजश्री
राजकपूर और राजश्री की एक फिल्म आई थी ‘एराउंड द वर्ल्ड’। राजकपूर की फिल्मों में अमूमन लताजी ही गीत गाती थीं। लेकिन यहां शंकर जयकिशन ने शारदा से गीत गंवाए। फिल्म का गीत-संगीत बेहद चर्चित हुआ। यहां राज अलबेले थे तो राजश्री अपने अल्हड़ सौंदर्य के साथ। राजश्री पर आधुनिक पोशाक खूब जंचे।
माला सिन्हा
‘दीवाना’ फिल्म में राजकपूर ने अजब सी पोशाक पहनी। ऐसा पहनावा राजकपूर का ही हो सकता था। लेकिन माला सिन्हा अपनी सादगी और सौंदर्य के साथ पर्दे पर नजर आई। दिलकश संगीत, संवाद, राजकपूर की फिल्मों की विशेषता होती है। चाहे वह आरके बैना की फिल्म हो या किसी बाहर के बैनर पर राजकपूर काम कर रहे हो।