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Saturday, September 28, 2024
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रेफरी की गलती ने तोड़ दिया था शिन लैम का गोल्ड का सपना, 70 मिनट तक पीस्ट पर अकेले बैठे करती रही इंसाफ का इंतजार

लंदन में 2012 ओलिंपिक (2012 London Olympic) में एक तस्वीर वायरल हुई थी. तस्वीर में एक तलवारबाज पीस्ट (जिस स्टैंड पर तलवारबाजी की जाती है) पर बैठी हुई थी, आंखों में आंसू और चेहरे पर निराशा थी. यह तस्वीर कोरिया की शिन ए लैम (Shin A Lam) की थी जो लंदन ओलिंपिक (London Olympic) मे महिला ऐप इवेंट के सेमीफाइनल मुकाबले में हार के बाद निराश होकर बैठी थीं. खेल में हार जीत तो होती है तो इस हार में ऐसा क्या था जिसके कारण वह सुर्खियों में आ गई, किस्से ओलिंपिक में आज कहानी उसी मैच की.

शिन ए लैम (Shin A Lam) लंदन ओलिंपिक (London Olympic) में गोल्ड जीतने के इरादे से गई थी. इसके लिए उन्होंने सालों से मेहनत की थी. शुरुआती राउंड में जीत के बाद वह सेमीफाइनल में पहुंची. सेमीफाइनल में उनका सामना बीजिंग ओलिंपिक (Beijing Olympic) की गोल्ड मेडलिस्ट जर्मनी की ब्रिटा हैडेमैन से थी. शिन ए लैम ने पूरे मुकाबले में इस गोल्ड मेडलिस्ट को कड़ी टक्कर थी. मैच का समय खत्म होने के बाद दोनों खिलाड़ी 5-5 पॉइंट पर बराबरी पर थे. इसके बाद सडन डेथ का एक मिनट दिया गया. इस डेथ मिनट में में शिन ने लीड हासिल की हुई थी. आखिर का एक सेकंड बचा हुआ था.

रेफरी की एक गलती ने बदल दिया सबकुछ

तलवारबाजी में पूरा एक सेकंड काउंट किया जाता है. जिसके मुताबिक चाहे खेल खत्म होने में एक सेकंड पूरा बचा हुआ हो या फिर सेकंड का 1000वां हिस्सा घड़ी में पूरा एक सेकंड ही दिखाया जाता है और हर हिट के बाद समय को रोक दिया जाता है चाहे हिट सही हो या गलत. शिन उस समय लीड में थी औरकेवल 0. 213 सेकंड का ही समय बचा था. उन्हें लगा कि वह सिर्फ डिफेंस करके जीत जाएंगी. तभी अंपायर ने समय देख रहे रेफरी को घड़ी को चेक करने को कहा, हालांकि उस वह इसे समझ नहीं पाए और समय शुरू कर दिया. स्टेडियम में मौजूद फैंस को लगा शिन जीत गई हैं हालांकि आखिरी जब समय शुरू हुआ तो बाउट शुरू नहीं हुई थी इसी वजह से फिर से मैच शुरू करने का फैसला किया गया. घड़ी में फिर से शुरू करने के लिए समय केवल एक सेकंड ही थी ऐसे में ब्रेटा को पूरा एक सेकंड मिला जिसमें दो हिट करके उन्होंने मैच जीत लिया.

70 मिनट तक पीस्ट पर बैठी रही शिन

कोरिया ने इसके खिलाफ अपील की. शिन के कोच लगातार इसका विरोध कर रहे थे. हालांकि कोई उनकी अपील मानने को तैयार नहीं था. नियमों के मुताबिक अपील का फैसला होने तक अगर शिन पीस्ट छोड़ देती तो उन्हें यैलो कार्ड दिया जाता जिसके कारण उन्हें ब्रॉन्ज मेडल का मैच खेलने को नहीं मिला. ब्रेटा को विजेता घोषित किय जा चुका था. शिन एक हाथ से अपने आंसू पोंछ रही थी दूसरे हाथ में तलवार थी. उसी तरह पीस्ट पर बैठ गई और 70 मिनट तक इंसाफ की उम्मीद में बैठी रही. अपील ठुकराई जा चुकी थी लेकिन वह अपनी हार मानने को तैयार नहीं थी. इसके बाद फेंसिंग फेडरेशन के अधिकारियों आएं और उन्हें वहां से लेकर गए.

शिन इसके कुछ बाद ही ब्रॉन्ज मेडल के लिए उतरी लेकिन हार गई. लंदन ओलिंपिक के बाद से आज तक इस मुकाबले की चर्चा एक दर्द भरी कहानी के तौर पर की जाती है जहां एक गोल्ड मेडल जीतने की हकदार खाली हाथ देश लौटीं. हालांकि फेंसिंग फेडरेशन एक कदम आगे बढ़कर उन्हें एक खास मेडल देने का फैसला किया. हालांकि शिन का इरादा साफ था अग ओलिंपिक मेडल नहीं और कुछ नहीं चाहिए.

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