धरती के बाद ऐसे दूसरे ग्रह की तलाश जारी है, जहां पानी की संभावना हों। इसे लेकर मंगल से वैज्ञानिकों की उम्मीदें जुड़ी थीं। इन उम्मीदों को अब झटका लगा है। मंगल पर जिस पानी की झील की मौजूदगी को लेकर खूब चर्चा हुई, उसे लेकर कहा जा रहा है कि यह जमी हुई क्ले मिट्टी हो सकती है।
प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता इसाक स्मिथ का कहना है कि साल 2018 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस पर लगे मार्सिस से एकत्रित डाटा से मंगल पर पानी की मौजूदगी को लेकर सवाल खड़े होते हैं। इस शोध के मुताबिक स्मिथ ने कहा कि पानी को तरल रूप में रहने के लिए जितने तापमान और नमक की जरूरत पड़ती है, उससे ऐसा लगता है कि यह वास्तव में पानी नहीं बल्कि स्मेटाइट्स नाम का खनिज पदार्थ है।
यह एक ऐसी क्ले है, जो ज्वालामुखी की चट्टानों से मिलती जुलती है और मंगल ग्रह पर अधिक मात्रा में पाई जाती है। शोधकर्ताओं ने इन्हीं स्मेटाइट्स को -42 डिग्री सेल्सियस पर रखा और उस तापमान पर अगर उसके ऊपर पानी हो, तो वह बिल्कुल वैसा ही दिखता है कि जैसे मार्सिस को दिखा है। साल 2018 में मार्सिस ने मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के नीचे पानी की मौजूदगी का पता लगाया था। इसके फिर दो साल बाद शोधकर्ताओं को करीब 6 मील की कई सारी नई नमकीन झीलें मिलीं। स्मिथ कहते हैं कि पानी का तरल रूप में मिल पाना मुश्किल है ।