बॉलीवुड के मुन्ना भाई यानी कि संजय दत्त को सभी लोग पसंद करते है। संजय ने अपनी पहली ही फिल्म से दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बना ली थी। इधर संजय रील लाइफ में खलनायक बन लोकप्रिय हुए ही थे कि साल 1993 में ही संजय को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मुंबई पुलिस ने उनपर मुंबई बम धमाकों की साजिश में शामिल होने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। उस समय सुपरस्टार सुनील दत्त और नर्गिस के बेटे संजय को शायद यह अंदाजा भी नहीं होगा कि आगे उनके साथ क्या-क्या घटने वाला है।
बात दरअसल 1993 की है जब 12 मार्च को मुंबई में एक के बाद एक लगातार बम ब्लास्ट हुए। इन धमाकों ने पूरी मायानगरी को हिला कर रख दिया। सरकारी आंकणों के मुताबिक इन बम ब्लास्ट में 257 लोगों ने अपनी जान गवां दी और 713 लोग घायल हो गए। इसके बाद जांच पड़ताल शुरू हुई और मुंबई पुलिस ने संजय दत्त को 19 अप्रैल 1993 को मुंबई ब्लास्ट के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। सभी लोग इस बात से हैरान थे कि यह आखिर हुआ क्या है।
संजय पर आरोप था कि उन्होंने जो एके-56 राइफल अपने घर पर रखी थी, उस राइफल के तार सीधे मुंबई बम ब्लास्ट से जुड़े हुए थे। संजय दत्त को अबू सलेम और रियाज़ सिद्दीक़ी से अवैध बंदूक़ों की डिलीवरी लेने, उन्हें रखने और फिर नष्ट करने का दोषी माना गया था। पुलिस ने संजय से घंटो पूछताछ की थी। संजय 18 दिनो तक हवालात में थे। बाद में काफी मशक्कतो के बाद उन्हें 5 मई को जमानत मिल गयी थी। संजय का इस पर कहना था कि यह हथियार उन्होंने परिवार की सुरक्षा के लिए रखे थे।
संजय पर 1993 मुंबई बम ब्लास्ट के मामले में विशेष टाडा केस चलाया गया था जिसकी सुनवाई 30 जून 1995 को शुरू हो गई। मामले की सुनवाई करीब 12 साल तक चली। जिसके बाद 18 मई 2007 को संजय दत्त को टाडा के आरोपों से तो बरी किया गया, लेकिन उन्हें आर्मस एक्ट के तहत 6 साल की सजा सुनाई गई थी। इस बीच संजय को कई बार जेल जाना पड़ा था। टाडा कोर्ट से सजा मिलने के बाद संजय ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 21 मार्च 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने टाडा कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए संजय दत्त को सजा सुनाई। हालांकि इस सजा को 6 साल से घटाकर 5 साल के लिए कर दिया गया था। इसके बाद वह वर्ष 2014 और 2015 में कुछ दिन की पैरोल पर जेल से बाहर भी आए। जिसके बाद 2016 में अच्छे व्यवहार के चलते संजय को समय से पहले रिहा कर दिया गया था।