दुति चंद एक भारतीय पेशेवर धावक और महिलाओं की 100 मीटर स्पर्धा में वर्तमान राष्ट्रीय चैंपियन हैं। वे एक वैश्विक प्रतियोगिता में 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय हैं। वह ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में महिलाओं की 100 मीटर स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाली तीसरी भारतीय महिला हैं। दुती चंद का जन्म 3 फरवरी 1996 को ओडिशा के जाजपुर जिले के चाका गोपालपुर गांव में हुआ था। दुती, गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले एक बुनकर परिवार से ताल्लुक रखती हैं। गाँव के कच्चे रास्तों पर दौड़ने का अभ्यास करने वाली दुती का ओलिंपिक खेलों तक पहुँचने का सफर आसान नहीं था। समलैंगिकता को लेकर रूढ़वादी समाज से लेकर हाइपरएंड्रोजेनिज़्म विवाद तक, दुती ने हर मोड़ पर कड़ी मुश्किलों का सामना किया है।
2012 में 100 मीटर स्पर्धा में अंडर-18 वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन बनकर दुती चंद पहली बार सुर्खियों में आईं। इसके बाद 2013 में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप, वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप और रांची में नेशनल सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया।
ताइपे में हुए 2014 एशियन जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दो स्वर्ण पदक के साथ, दुती अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में अपना पहला महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए तैयार थीं। दुती 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी कर रही थीं, जब एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) ने अंतिम समय में उन्हें एथलेटिक्स से हटाने का फैसला किया। उस वक्त कहा गया कि हाइपरएंड्रोजेनिज़्म की वजह से उन्हें एक महिला एथलीट के तौर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए अयोग्य करार दिया जाता है। हालांकि, दुती ने 2015 में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपील की थी, जिसके बाद उनपर लगा यह प्रतिबंध हटा दिया गया था।
दुती ने 2016 एशियाई इंडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 60 मीटर की स्पर्धा के क्वालिफिकेशन राउंड में 7।28 सेकंड के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना दिया। 2018 में दुती ने जकार्ता एशियाई खेलों में महिलाओं की 100 मीटर में रजत पदक जीता था। 1998 के बाद से इस स्पर्धा में यह भारत का पहला पदक था। उन्होंने नेपोली में 2019 के समर यूनिवर्सियाड में स्वर्ण पदक जीता। वे 100 मीटर की दौड़ में 11.32 सेकंड के समय के साथ, यूनिवर्स में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय धावक बनीं।