हमारे यहां सिंदूर से मांग ना भरना अपशकुन माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मांग भरने से पति की आयु बढ़ती है, स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि होती है। सुहागिनों द्वारा सिंदूर लगाने की प्रथा कहां से चलन में आई, यह दूसरों को देखकर अपनाई गई मात्र एक परंपरा है या इसके पीछे भी कोई वैज्ञानिक कारण है, आइए जानते हैं इस परंपरा से जुड़ी खास बातें.
ये है पौराणिक प्रसंग
– सिंदूर लगाने की परंपरा का प्रमाण रामायण काल में मिलता है। कहा जाता है कि माता सीता रोज श्रृंगार करते समय मांग में सिंदूर भरती थीं। ऐसा उल्लेख मिलता है कि एक दिन हनुमान जी ने माता सीता से पूछा कि वे रोज सिंदूर क्यों लगाती हैं? – पति की आयु बढ़ती है सीता ने बताया कि भगवान राम को सिंदूर पसंद है। इससे उन्हें प्रसन्नता होती है। जितनी बार वे सीता की मांग में सिंदूर देखते हैं, उतनी बार उनका मन प्रसन्न होता है।
– प्रसन्नता शरीर और स्वास्थ्य के लिए वरदान है और स्वस्थ रहने से व्यक्ति की आयु बढ़ती है। इस तरह सिंदूर लगाने से पति की आयु बढ़ती है। माता सीता से ऐसे मधुर वचन सुन हनुमान जी का मन प्रसन्न हो गया और इसी समय से सुहागिनों में सिंदूर से मांग भरने का प्रचलन हो गया।
ये है वैज्ञानिक कारण
– आमतौर पर स्त्रियां अपनी मांग के बीचों-बीच सिंदूर लगाती हैं। शरीर विज्ञान के अनुसार यह स्थान ब्रह्म रंध्र और अध्मि नामक मर्मस्थान के ठीक उपर होता है।
– यह स्थान विशेष रूप से स्त्रियों में बहुत कोमल होता है और बाहरी प्रभावों से बहुत जल्दी संवेगित होता है। स्त्रियों का मन संयमित स्त्रियां स्वभाव से भी बहुत जल्दी दूसरों की बातों में आ जाने वाली होती हैं।
– ऐसे में माथे के इस भाग में सिंदूर लगाने से स्त्रियों का मन संयमित और संतुलित रहता है। इसकी वजह यह है कि सिंदूर में पारा नाम की धातु प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। पारा शरीर की विद्युतीय उर्जा को नियंत्रित करता है।
– यह मर्मस्थल को बाहरी दुष्प्रभावों से बचाता है। इसलिए जो स्त्रियां माथे पर सिंदूर लगाती हैं, उनका मन भटकने या बाहरी बातों से दुष्प्रभावित होकर उलझने से बच जाता है, उनके मन में नकारात्मक बातें असर नहीं डाल पातीं।