हमारी दिनचर्या का महत्वपूर्ण अंग है सोना अर्थात नींद लेना। शयन किस तरह हमारे स्वास्थ्य और चेतना के लिए लाभदायी हो सकता है, इसके लिए शास्त्रों में संकेत है। शास्त्रों के अनुसार बताया जाता है कि सोते समय हमारे पैर दक्षिण दिशा की ओर फैले हुए नहीं होने चाहिए। मतलब कि हमें उत्तर दिशा की तरफ मुँह रखकर नहीं सोना चाहिए। क्योंकि इससे हमें मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। हम आपकों बताते है कि शास्त्रों ने कुछ बातें महत्वपूर्ण बताई है।
पूरे दिन हम काम करते-करते शरीर में थकान हो जाती है। जिससे हमारे शरीर की ऊर्जा शक्ति खत्म हो जाती है। जिससे शरीर को आराम कि जरूरत पड़ती है। शरीर को आराम देने के लिए हम सौते है। शाम के समय कभी भी नहीं सोना चाहिए, सोते समय पैर दक्षिण दिशा की ओर न हों, जैसे अनेक निर्देश शास्त्रों में दिये गये हैं…..
रात्रि को भोजन करने के तत्पश्चात सोना नहीं चाहिए। शयन से पहले सद्ग्रंथों का अध्ययन और भगवान का स्मरण करना चाहिए। शयन का समय भी हमारे जीवन में बहुत मायने रखता है। सौर जगत धु्रव पर आधारित है। धु्रव के आकर्षण से दक्षिण से उत्तर दिशा की तरफ प्रगतिशील विद्युत प्रवाह हमारे सिर में प्रवेश करता है और पैरों के रास्ते निकल जाता है। ऐसा करने से भोजन आसानी से पच जाता है।