आप देश के किसी भी कोने में रहते हों, आप बेशक देश की राजधानी दिल्ली में रहते हों या फिर किसी छोटे-से गांव में. आपको हर जगह बिजली के ट्रांसफार्मर देखने को मिल जाएंगे. ये ट्रांसफार्मर हमारे घरों और दफ्तरों के साथ-साथ अन्य सभी जगहों पर बिजली पहुंचाने के लिए भी बहुत उपयोगी होते हैं. यदि ट्रांसफार्मर न हों तो हमारे घरों में मौजूद बिजली से चलने वाले सभी उपकरण ठीक से काम नहीं कर पाएंगे और जल्द ही खराब हो जाएंगे. इतना ही नहीं, ट्रांसफार्मर न होने की स्थिति में बिजली के उपकरणों में आग भी लग सकती है जिससे भीषण नुकसान भी हो सकता है. आइए अब जानते हैं आखिर एक ट्रांसफार्मर का क्या काम होता है और ये कैसे काम करता है?
क्या काम करता है ट्रांसफार्मर
ट्रांसफार्मर के बारे में कुछ भी जानने से पहले ये जानना सबसे जरूरी है कि ये एक विद्युत उपकरण है. ट्रांसफार्मर का मुख्य काम बिजली की पावर को घटाना, बढ़ाना या फिर सामान्य रूप से सप्लाई करना होता है. आसान शब्दों में कहें तो ट्रांसफार्मर जरूरत के हिसाब से बिजली की सप्लाई करता है. यदि किसी मोहल्ले में ज्यादा वोल्ट की बिजली चाहिए तो यह वहां ज्यादा वोल्ट की बिजली सप्लाई करेगा और जिस मोहल्ले में कम वोल्ट की बिजली चाहिए तो यह उस मोहल्ले में कम वोल्ट की बिजली सप्लाई करता है. कई लोगों को ऐसा लगता है कि ट्रांसफार्मर ही बिजली उत्पन्न करता है, जबकि ऐसा नहीं है. दरअसल, ट्रांसफार्मर तो आपके घरों तक बिजली पहुंचाने का एक माध्यम है. ट्रांसफार्मर बिजली की फ्रीक्वेंसी को कम किया बिना ही उसे जरूरत के हिसाब से कम या ज्यादा करता है.
म्यूचुअल इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता है ट्रांसफार्मर
बिजली के ट्रांसफार्मर म्यूचुअल इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करते हैं. ट्रांसफार्मर कई प्रकार के होते हैं. ये मुख्य रूप से 3 आधार पर अलग-अलग होते है. ट्रांसफार्मर आउटपुट वोल्टेज, कोर की संरचना और फेज की संख्या के आधार पर बांटे गए हैं. आउटपुट वोल्टेज के तहत स्टेप अप और स्टेप डाउन दो तरह के ट्रांसफार्मर होते हैं. कोर की संरचना के आधार पर ये कोर टाइप और शेल टाइप दो तरह के होते हैं. और फेज की संख्या के आधार पर ये मुख्यतः सिंगल फेज और थ्री फेज के होते हैं.