कुहासे से ढंकी पगडंडियां, माहौल को रोमैंटिक बनाते चीड़ के सुगंधित जंगल, ख़ूबसूरत पहाड़, लकड़ी के छोटे-छोटे आरामदायक घर और लॉज… ये उन अनेक कारणों में से कुछ ही हैं, जो शिमला सहित हिमाचल प्रदेश के दूसरे क़स्बों को नवविवाहित जोड़ों और रोमैंस की तलाश करनेवालों की पसंदीदा सैरगाह बनाते हैं.हम दोनों ऊंचे देवदार के वृक्षों की चरमराहट और हवा में बहकते चीड़ के पेड़ों के बीच थे. चिड़ियों की मधुर आवाज़ और रंभाती हुई गायें, टनटनाती हुई मंदिरों की घंटियां… हरी घाटियां, हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएं, ये सभी जैसे हमारे स्वागत को तत्पर थे. हम एक पहाड़ी के ऊपरी हिस्से पर बैठे थे और वहां से शिमला और उसके आसपास के अन्य पहाड़ी क़स्बों, जैसे-नालदेहरा, छाराबरा, मशोबरा और चैल की मोहक ख़ूबसूरती को निहार रहे थे. धूल भरे मैदानों से 2515 मीटर ऊंचाई पर बना वाइल्डफ़्लावर हॉल प्रेमी जोड़ों के पसंदीदा आशियानों में एक है.
दरअस्ल, शिमला के आसपास की पहाड़ियों में प्रेमी जोड़ों के लिए कई सपनीले रैन बसेरे हैं,एक सुहानी सुबह हमने मशोबरा के पास पहाड़ी की चोटी पर बने दि पीक में पिकनिक ब्रेकफ़ास्ट का निर्णय लिया. औपनिवेशिक काल के इस बंगले का निर्माण सन 1863 में किया गया था. हम लोगों ने वहां ठंडी हवा के झोंकों के बीच साइकलिंग का आनंद उठाया. हम जैसे-जैसे सेब के बगीचों में खोते जा रहे थे, खेतों की मेड़ और दूर तक पसरी हुई हरियाली की चादर दूर होती जा रही थी.अगली सुबह हम चिंडी घाटी की यात्रा पर गए. चाबा स्थित एक पुराने ब्रिटिश पावर हाउस के पास रुकने से पहले हम सतलज नदी की धारा के साथ-साथ चल रहे थे. यह पुराना पावर हाउस अब भी शिमला को बिजली की आपूर्ति करता है. अगले दिन हम शिमला से लगभग 22 किलोमीटर दूर बसे नालदेहरा के लिए निकले. यह एक छोटा-सा मोहक क़स्बा है, जहां भारत का दूसरा सबसे पुराना गोल्फ़ कोर्स है. इस गोल्फ़ कोर्स का निर्माण वायसराय लॉर्ड कर्जन ने कराया था.”हमारा अंतिम ठिकाना था चैल, जो कभी पटियाला के शासक महाराजा भूपेन्दर सिंह का निवास हुआ करता था. अंग्रेज़ों ने उन्हें अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला से निर्वासित कर दिया गया था.