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Monday, September 30, 2024
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डिलीवरी के बाद कभी न करें ये 4 गलतियां, वर्ना बाद में पछतावे के अलावा कुछ नहीं बचेगा

मां बनना एक खूबसूरत अहसास होता है, लेकिन ये उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी होती है क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद एक महिला की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है. पत्नी और बहू के साथ वो एक मां बन जाती है और बच्चे की परवरिश में इतनी व्यस्त हो जाती है कि खुद को भी भूल जाती है.

ऐसे में कई बार जाने-अनजाने कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिनका अगर समय रहते अहसास न हो, तो समस्या समय बढ़ने के साथ आपको ही परेशान करती है और आपके अंदर खुद के साथ नाइंसाफी की भावना पनपने लगती है. यहां जानिए ऐसी ही कुछ गलतियों के बारे में, ताकि आप समय से उसका अहसास कर सकें और भविष्य में किसी भी तरह के पछतावे से बच सकें.

बच्चे को ज्यादा दुलार न देना

जब एक महिला मां बनती है तो उसके तमाम सलाहकार उसके आसपास आ जाते हैं. ऐसे में कई बार कहा जाता है कि बच्चे को बहुत ज्यादा दुलार नहीं करना चाहिए, वर्ना बच्चा बिगड़ जाता है. इसे बहुत ज्यादा गोदी में न लो, वगैरह वगैरह. लेकिन इन सब सुझावों के बीच आपको ये समझना है कि मां और बच्चे के बीच जबरदस्त बॉन्ड सिर्फ अहसास से बनता है. मां बच्चे के आसपास भी रहे तो बच्चा खुद को सुरक्षित समझता है. बच्चे को मां से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. इसलिए अपने दिमाग से काम लें और आपको अपने बच्चे को जिस तरह से संभालना अच्छा लगता है, उस तरह से संभालें. ताकि आप मातृत्व का पूरा आनंद ले सकें. साथ ही आपके मन में बच्चे के साथ अनजाने में हुए अन्याय की भावना न पनपे.

खुद के विचारों को इग्नोर करना

जब महिला मां बनती है तो उसे लगता है कि इस मामले में वो नई है, इसलिए वो दूसरों को ज्यादा अनुभवी मानते हुए उनकी बातें सुनती है. खुद के विचारों को इग्नोर कर देती है. लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. हर मां की अपने बच्चे को लेकर कुछ ख्वाहिशें होती हैं. यदि इन सब सलाहकारों के बीच आपने अपनी इन ख्वाहिशों को दबा दिया तो आगे चलकर आपको इस बात का बहुत पछतावा होगा. इसलिए अपने करीबियों के साथ साथ खुद के मन की भी बात सुनें और कहीं संदेह हो तो विशेषज्ञ से परामर्श करें.

खुद का खयाल न रखना

ये सच है कि मां बनना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है, लेकिन इन सब जिम्मेदारियों के बीच महिला अक्सर खुद को भूल जाती है. खुद के खानपान का खयाल नहीं रखती. आगे चलकर इस लापरवाही का नतीजा उसे ही भुगतना पड़ता है. इसलिए बच्चे की परवरिश में पति व परिवार के अन्य सदस्यों की मदद लीजिए और अपनी नींद, खानपान आदि का विशेष खयाल रखें.

खुद को स्वार्थी न समझें

महिलाओं के दिमाग में शुरुआत से ही ये बात भर दी जाती है कि घर परिवार और बच्चे से लेकर सारी जिम्मेदारी उन्हीं को निभानी है. इसलिए यदि महिलाएं खुद के बारे में सोच लें, तो उनके अंदर स्वार्थी होने की भावना आ जाती है. लेकिन ये गलत है. महिला होने के साथ आप एक इंसान भी हैं. आपके भी कुछ सपने और कुछ शौक हैं. इन्हें पूरा करने के लिए पति से बात करें और रास्ता निकालें. लेकिन अपनी जिंदगी को जीना न भूलें.

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