आईसीएमआर के डेटा के मुताबिक, वर्तमान आरटी-पीसीआर जांच में वर्तमान स्वरूपों का भी पता चल रहा है. आरटी-पीसीआर जांच में 80 मामलों में सही परिणाम निकल आता है, लेकिन 20 फीसदी मामलों में हो सकता है कि नतीजे सही नहीं मिलें.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भारत के टॉप एक्सपर्ट्स ने सोमवार को कहा कि करीब 80 प्रतिशत मामलों में आरटी पीसीआर जांच से कोरोना वायरस के संक्रमण का पता चल पाता है, ऐसे में लक्षण वाले मरीज़ों की रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर उनका सीटी स्कैन या छाती का एक्सरे कराना चाहिए और 24 घंटे बाद दोबारा जांच करानी चाहिए.
सार्स सीओवी-2 के नए स्वरूपों के प्रकोप के बीच एक्सपर्ट्स ने कहा कि आरटी-पीसीआर जांच से वायरस के उत्परिवर्तित स्वरूप बच नहीं पाते, क्योंकि भारत में हो रहीं जांच में दो से अधिक जीन्स का पता लगाने की क्षमता है.
सरकार के 15 अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में सार्स सीओवी-2 के विभिन्न स्वरूपों से कुल 1,189 नमूने संक्रमित पाए गए, जिनमें से 1,109 नमूने ब्रिटेन में पाए गए कोरोना वायरस के स्वरूप से संक्रमित मिले, 79 नमूने दक्षिण अफ्रीका में मिले स्वरूप से और एक नमूना ब्राजील में मिले वायरस के स्वरूप से संक्रमित पाया गया.
आईसीएमआर के डेटा के मुताबिक, वर्तमान आरटी-पीसीआर जांच में वर्तमान स्वरूपों का भी पता चल रहा है. आरटी-पीसीआर जांच में 80 मामलों में सही परिणाम निकल आता है, लेकिन 20 फीसदी मामलों में हो सकता है कि नतीजे सही नहीं मिलें.
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘‘यदि नमूना ठीक से नहीं लिया गया है या फिर जांच समय पूर्व कर ली गई जब तक संक्रमण अधिक नहीं फैला हो तो रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होगी. इसलिए यदि किसी व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण हैं, तो कोविड-19 का पता लगाने के लिए लैब की रिपोर्ट, सीटी/चेस्ट एक्स-रे के मुताबिक उपचार शुरू किया जाना चाहिए. 24 घंटे बाद फिर से जांच करानी चाहिए.’
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा ने कहा कि ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में मिले वायरस के स्वरूप का आरटी-पीसीआर जांच में पता लग जाता है. हालांकि कुछ मामलों में संक्रमण का पता नहीं चल पाता है.
एक अन्य वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि केवल आरटी-पीसीआर जांच के परिणाम पर निर्भर रहने की बजाए लक्षण और सीटी स्कैन की रिपोर्ट के आधार पर उपचार किया जाना चाहिए.