जरा सोचिए, रोज-रोज कड़वी गोलियां गटके बगैर ही बीमारियों से छुटकारा मिल जाए तो कितना अच्छा रहेगा। इंजेक्शन के जरिये शरीर में प्रवेश करने वाले सूक्ष्म रोबोट बीमार अंग तक पहुंचकर जरूरी मात्रा में दवा की खुराक दे दें तो जिंदगी कितनी आसान हो जाएगी। सुनने में यह बात भले ही किसी विज्ञान-फंतासी फिल्म के दृश्य सरीखी लगे, पर कॉरनेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसे सच कर दिखाया है।
उन्होंने मनुष्य के बाल से भी कम व्यास (0.004 इंच) वाले ऐसे रोबोट बनाए हैं, जो रोग प्रभावित अंगों में समय-समय पर जरूरी दवाओं की आपूर्ति करने में सक्षम होंगे। इनका इस्तेमाल हृदय और मस्तिष्क से निकलने वाले ‘नर्व सिग्नल’ पर नजर रखने के लिए भी किया जा सकेगा। तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएं एक-दूसरे से संवाद करने के लिए ‘नर्व सिग्नल’ का सहारा लेती हैं। हड्डियों और मांसपेशियों की मरम्मत में भी सूक्ष्म रोबोट खासे मददगार साबित हो सकते हैं।
मुख्य शोधकर्ता डॉ. मार्क मिसकिन के मुताबिक चार पैरों वाले सूक्ष्म रोबोट की फौज ‘हाइपोडर्मिक सुई’ के जरिये शरीर में प्रवेश करती है। खून और ऊतकों के बीच तैरने के लिए यह सौर ऊर्जा से संचालित इलेक्ट्रोकेमिकल प्रवर्तक की मदद लेती है। प्रवर्तक को बेहद मजबूत फोटोवोल्टेक सेल से लैस कराया गया है।
मिसकिन ने बताया कि लेजर लाइट का स्राव करने पर रोबोट में लगे प्रवर्तक मुड़ जाते हैं, जिससे वह आगे नहीं बढ़ पाता। इसके बाद उसमें मौजूद सेंसर उस छिद्र को खोल देते हैं, जिससे रोग प्रभावित हिस्से में दवा की आपूर्ति होनी है। सूक्ष्म रोबोट में एक से ज्यादा छिद्र उपलब्ध कराने की कोशिश है, ताकि उनसे सभी दवाओं की खुराक दी जा सके। इनके आविष्कार से जुड़ा शोधपत्र ‘जर्नल नेचर’ के हालिया अंक में प्रकाशित किया गया है।
चीर-फाड़ की जरूरत नहीं
-अत्याधुनिक सेंसर से लैस सूक्ष्म रोबोट को शरीर में पहुंचाने के लिए चीर-फाड़ की जरूरत नहीं पड़ेगी। बेहद बारीक हाइपोडर्मिक सुई से इंजेक्शन के रूप में इन्हें नसों में छोड़ा जा सकेगा।
एसिड का असर झेलने में सक्षम
-मिसकिन ने दावा किया कि सूक्ष्म रोबोट बेहद मजबूत होंगे। 200 डिग्री सेल्सियस तापमान का इन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारी मात्रा में एसिड का स्त्राव होने के बावजूद ये सुरक्षित रहेंगे।
ऊर्जा की खपत बेहद कम
-शोधकर्ताओं की मानें तो सूक्ष्म रोबोट दिनभर में एक वोल्ट से भी कम ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं। इनकी बॉडी चारों पैरों से एक हजार गुना ज्यादा मोटी और आठ हजार गुना अधिक भारी होगी।