teensexonline.com
Sunday, September 29, 2024
No menu items!
HomeLifestyleपारसी समाज ने कोरोना के चलते बदली अंतिम संस्कार की तीन हजार...

पारसी समाज ने कोरोना के चलते बदली अंतिम संस्कार की तीन हजार साल पुरानी प्रथा

कोरोना महामारी के चलते पारसी समुदाय को म्रत देह के अंतिम संस्कार की 3 हजार साल पुरानी परंपरा दोखमे नशीन को बदलकर अग्निदाह करने पर मजबूर होना पड रहा है। पारसी समाज में म्रत देह को गिद्धों के लिए टावर ऑफ साइलेंस पर खुले में छोड दिया जाता है। पारसी पंचायत सूरत के पदाधिकारियों ने कोरोना के चलते म्रत पारसी महिला पुरुषों के शवों को अब टावर ऑफ साइलेंस अथवा गहरे कूंए में खुला छोडने के बजाए अग्निदाह को मंजूरी दी है।

पारसी पंचायत के प्रमुख एस जी करंजिया बताते हैं कि देश में उनके समुदाय के लोगों की जनसंख्या करीब 1 लाख है। सबसे अधिक लोग मुंबई में रहते हैं जबकि सूरत में ढाई से तीन हजार की आबादी है। इनमें कोरोना के चलते करीब 50 लोगों का निधन हो चुका है। पारसी समुदाय में शव के अंतिम संस्कार की दोखमे नशीन परंपरा है जिसमें शव को गिद्धों व अन्य पक्षियों के लिए खुले में छोड दिया जाता है। दरअसल पारसी समुदाय अग्नि, जल, प्रथवी को पवित्र मानकर म्रत देह को उनके सुपूर्द नहीं करता है।

पारसी शिक्षक एवं कलाकार यसदी नौसरखान करेंजिया बताते हैं कि समाज में लंबे समय से अंतिम संस्कार की विधि को लेकर चर्चा होती थी। गिद्धों की संख्या लगातार घटने से परिवार के सदस्य के शव को खुले में छोडने के बाद वह 6 से 8 माह तक पडा रहता है। कोरोना महामारी में दूसरे लोगों को तकलीफ ना हो इसलिए अब अग्रिनदाह का विकल्प अपनाया है लेकिन इसके अलावा टावर ऑफ साइलेंस पर सौलर पैनल लगाकर उसकी तेज गर्मी से भी शव का अंतिम संस्कार किया जाने लगा है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments