teensexonline.com
Saturday, September 28, 2024
No menu items!
HomeBollywoodखोया खोया चांद : आचनक कहां गायब हो गई 90s की ये...

खोया खोया चांद : आचनक कहां गायब हो गई 90s की ये एक्ट्रेस, खूबसूरती में नहीं थी ऐश्वर्या-दीपिका से कम

1995 में एक फिल्म आई थी ‘नसीम’. इस फिल्म की कहानी बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान घटी घटनाओं के ईर्द-गिर्द बुनी गई थी. इस फिल्म में 15 साल की एक मुस्लिम लड़की के किरदार को काफी सराहा गया था. आपको पता है यह किरदार किसने किया था. मयूरी कांगो. जी हां, वही मयूरी कांगो जिन्हें भले ही इस फिल्म से लोकप्रियता न मिल पाई हो, लेकिन इसके अगले साल यानी 1996 में रिलीज हुई फिल्म ‘पापा कहते हैं’ से उन्होंने बहुत नाम कमाया.

इस फिल्म में मयूरी की मासूमियत और खूबसूरती लोगों के दिलों पर छा गई. इस फिल्म के बाद मयूरी ने गिनी-चुनी फिल्में कीं, जिनमें ‘बेताबी’, ‘होगी प्यार की जीत’, ‘कुरबां’ और ‘बादल’ जैसी फिल्में शामिल हैं. हालांकि, फिल्म ‘पापा कहते हैं’ में मयूरी पर जो नजरें दर्शकों की टिकीं, वह कभी नहीं हट पाईं. मयूरी का फिल्मी करियर इतना खास नहीं रहा. मयूरी केवल 17 साल की थीं, जब वह फिल्म इंडस्ट्री में आईं.

कैसे मिली मयूरी को उनकी पहली फिल्म ‘नसीम’?

एक शो के दौरान मयूरी ने अपने फिल्मी करियर और फिर अचानक इंडस्ट्री छोड़कर गूगल इंडिया की इंडस्ट्री हेड बनने तक के सफर को साझा किया था. मयूरी ने बताया कि ऐसा नहीं था कि वह फिल्मों में नहीं आना चाहती थीं. दरअसल, मयूरी की मां एक नामी थिएटर कलाकार रही हैं. अपनी मां से मिले अभिनय के गुण को मयूरी ने भी फिल्मों में आजमाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहीं.

मयूरी ने बताया कि उनकी मां अपना एक्टिंग करियर आगे बढ़ाने के लिए मुंबई गई थीं. उस दौरान मयूरी उनके साथ नहीं रहती थीं. मयूरी महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा भी वहीं से हासिल की है. एक बार मयूरी अपनी मां से मिलने मुंबई पहुंचीं. उस समय मयूरी 12वीं क्लास में थीं. मयूरी का मुंबई जाने का मकसद था कि अपनी मां से मिले और लिंकन रोड पर स्थित एक दुकान से उन्हें जूते दिलवाने के लिए कहें.

पहले किया इनकार, फिर भरी हामी

इस दौरान उनकी मां उन्हें एक शूट पर लेकर गईं, जहां पर उन्हें एक फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़नी थी. यह फिल्म थी ‘नसीम’. इस फिल्म के निर्देशक सयैद अख्तर मिर्जा ने मयूरी को देखा और कहा कि मुझे मेरी हिरोइन मिल गई. मयूरी ने इसके लिए मना कर दिया. उन्होंने निर्देशक से कहा कि मुझे इंजीनियर बनना है. यह सब मैं नहीं कर सकती.

मयूरी कहती हैं- इसके बाद मैंने काफी सोचा और फिर मैंने फैसला किया कि मैं सिर्फ एक यही फिल्म करूंगी और इसके बाद अपनी इंजीनियरिंग की तरफ बढ़ जाऊंगी. यह फिल्म काफी लोगों को पसंद आई. इसके बाद मयूरी ने अपने 12वीं बोर्ड की परीक्षा पूरी की कि तभी महेश भट्ट ने उन्हें ‘पापा कहते हैं’ फिल्म में लीड रोल ऑफर कर दिया. तब मयूरी ने इंजीनियरिंग छोड़ बॉलीवुड में कदम रखने के बारे में निर्णय लिया.

छोड़ी फिल्म इंडस्ट्री और बन गईं गूगल इंडिया की इंडस्ट्री हेड

इस फिल्म के बाद करीब दस सालों तक मयूरी ने इंडस्ट्री में काम किया. इस दौरान उन्हें काफी लोकप्रियता भी मिली. हालांकि, मयूरी इस करियर में खुद को संतुष्ट नहीं पा रही थीं. यह बहुत मुश्किल फैसला था मयूरी के लिए जब उन्होंने बॉलीवुड छोड़ने का सोचा. इसके बाद 2005 में मयूरी ने न्यूयॉर्क में एमबीए में एडमिशन लिया और अपनी पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई पूरी करने के बाद मयूरी ने एक एसोसिएट मीडिया मैनेजर के रूप में 360i के साथ मार्केटिंग के क्षेत्र में अपना काम शुरू किया.

8 साल न्यूयॉर्क में बिताने के बाद वह भारत लौट आईं. और गुड़गांव में अपने परिवार के साथ सेटल हो गईं. यहां उन्होंने Publicis Groupe जॉइन किया. कुछ समय यहां काम करने के बाद मयूरी ने गूगल इंडिया जॉइन किया, वो भी इंडस्ट्री हेड के तौर पर. मूयरी का कहना है कि उनका हमेशा से एक सपना रहा है कि वह एक दिन किसी कंपनी की सीईओ बनेंगी. यह सपना वह बचपन से देख रही हैं. इन दिनों मयूरी अपने पति और बेटे के साथ गुड़गांव में रह रही हैं.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments