ये कोई राज़ की बात नहीं है कि घूमने के लिए राजस्थान भारत के बेहतरीन राज्यों में से एक है। जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर, पुष्कर, अजमेर, राजस्थान के कुछ ऐसे शहर हैं जिनके बारे में आपने काफी सुना होगा या घूमने भी गए होंगे, लेकिन क्या आप बूंदी शहर के बारे में जानते हैं।
बूंदी
राजस्थान के इस शहर का वातावरण अच्छा है, यहां के लोग मददगार हैं, खाना बेहद स्वादिष्ट और यहां करने के लिए काफी कुछ है। बूंदी में किसी हैरिटेज होटल में ही ठहरें, ताकि आपको इस इलाके को महसूस कर सकें। चलिए जानते हैं कि बूंदी में आप क्या-क्या कर सकते हैं।
रानीजी की बाओली
बूंदी की रानी नाथावती जी ने सन 1699 में यह खूबसूरत बाओली बनवाई थी। राव राजा अनिरुद्ध सिंह ने अपनी पहली पत्नी के साथ बूंदी पर शासन किया था। उनके जीवन में उस वक्त बदलाव आए, जब राजा अनिरुद्ध सिंह ने अपने उत्तराधिकारी को पाने की इच्छा में राजकुमारी नाथावती जी से शादी की क्योंकि उनकी पहली पत्नी उन्हें वारिस नहीं दे पाईं। शादी के बाद, रानी नाथावती जी ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसे पहली रानी को सौंप दिया गया था। जिसकी वजह से रानी नाथावती जी का दिल टूट गया। अपने बेटे से दूर होने का दुख उन्हें बेहद था इसलिए उन्होंने अपना ध्यान मानवीय कामों में लगाना शुरू किया और बाओली आदि जैसी चीज़ें बनवाईं।
झील के किनारे कुछ समय बिताएं
बूंदी के राजाओं ने कस्बों में बसे लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए झीलें बनाईं थीं। नवल सागर पुराने शहर के मुख्य झील है और वहां पानी के देवता वरुण का आंशिक रूप से जलमग्न मंदिर है, जिसकी वहां पूजा की जाती है। शाम को झील के किनारे सैर करें और भव्य नज़ारों की खूबसूरत तस्वीरें लें।
जैत सागर एक और पर्यटन स्थल, जो बूंदी से थोड़ी दूर पर स्थित है। यह छोटे मंदिरों और सुरम्य अरावली से घिरा हुआ है। इस झील को देखने का सबसे अच्छा समय अप्रैल और अक्टूबर के बीच है, उस वक्त यहां कमल के फूल भी खिलते हैं।
महल की लघु चित्रों को निहारें
दशकों पहले हाड़ा राजपूतों द्वारा बनाए गए भित्ति चित्रों को देखने के लिए बूंदी के गढ़ महल की यात्रा की योजना ज़रूर बनाएं। 17 वीं से 19 वीं शताब्दी के दौरान हाडा के महाराजाओं ने हैडोती स्कूल ऑफ पेंटिंग की स्थापना की थी। इस शाही स्कूल के राजस्थानी लघु चित्रों की अपनी विशिष्ट शैली की वजह से बूंदी को भारत के नक्शे पर एक ख़ास जगह मिली है।
स्थानीय पौटरी के लिए गांवों में घूमें
बूंदी के उत्तरीय हिस्से में, अकोदा और थिकार्दा नाम के दो गांव हैं, जहां मिट्टी और पानी से बर्तन बनाए जाते हैं। अकोदा, थिकार्दा के मुकाबले बड़ा और काफी मशहूर गांव है। हालांकि, दोनों गांवों में आपका स्वागत दिल से किया जाएगा। वहां आए हुए सैलानियों को कुम्हार अपने खूबसूरत बर्तन दिखाते हैं, लेकिन एक विस्तृत पाठ के लिए पैसे लगते हैं। यहां के परंपरागत घर भी देखने लायक हैं।