Thursday, November 21, 2024
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Lalit Upadhyay: एक स्टिंग ऑपरेशन से तबाह हो गया था करियर , धनराज पिल्लै के भरोसे से बने टीम इंडिया के हीरो

खेल जगत कई बार खिलाड़ी विवाद और स्कैंडल में फंस कर गलत कारणों से सुर्खियों में आ जाते हैं. कभी यह खबरें सही और कभी बिलकुल बेबुनियाद. ऐसे ही एक झूठे विवाद में फंसने के बाद भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team) के खिलाड़ी ललित उपध्याय (Lalit Lalit Upadhyay) एक समय पर हमेशा के लिए इस खेल को छोड़ने का मन बना चुके थे. हालांकि परिवार के प्यार और पूर्व भारतीय कप्तान धनराज पिल्लै (Dhanraj Pillai) के साथ ने उन्हें हिम्मत दी और आज वह टीम इंडिया के स्टार डिफेंडर हैं.

ललित ने 11 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया था. उनके स्कूल में हॉकी खेला जाता और उनका बड़ा भाई भी इससे जुड़े हुए थे, ऐसे में इस खेल की ओर उनका रुझान होना ही थी. उनकी प्रतिभा का ही असर था कि वह चार के अंदर ही अंडर-21 की टीम के साथ ट्रेनिंग करने लगे थे. हालांकि इसके बाद एक विवाद ने उनकी टीम इंडिया के लिए खेलने की लगभग सारी उम्मीदों को खत्म कर दिया था.

2008 में स्टिंग ऑपरेशन में फंस गए थे ललित

साल 2008 में एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया जिसमें कुछ रिपोर्टर एक स्पॉन्सरशिप डील का प्रस्ताव लेकर उस समय हॉकी इंडिया के प्रमुख के ज्योतिकुमारन के पास गए थे. उन्होंने ज्योतिकुमारन से कहा कि अगर उत्तर प्रदेश का कोई भी खिलाड़ी टीम इंडिया के लिए खेलता है तो डील उन्हें दी जाएगी. जब खिलाड़ी का नाम लेने की बारी आई तो ज्योतिकुमारन ने ललित का नाम लिया. इस विवाद के बाद ज्योतिकुमारन को तो उनकी जगह से हटा दिया गया लेकिन ललित के लिए अपने नाम पर लगे दाग को हटाने की जंग शुरू हो गई.

ललित को इस डील के बारे में कुछ नहीं पता था. उनपर पैसा देकर टीम में जगह बनाने के आरोप लगे और इसी वजह से सेलेक्टर्स भी उन्हें मौका देने से कतराते रहे. लगातार रिजेक्शन के बाद ललित खेल को छोड़ने तक का मन बना चुके थे. ऐसे समय में उनके परिवार ने उनका साथ दिया और कहा कि खेल को छोड़ने का मतलब होगा कि वह खुद पर लगे आरोपों को स्वीकार कर रहे हैं. वह साई केंद्र में अभ्यास करते रहे और अपनी बारी ता इंतजार भी. ऐसे समय में उन्हें पूर्व कप्तान धनराज पिल्लई का साथ मिला.

धनराज ने दिया साथ

धनराज ने ललित पर भरोसा दिखाया और उन्हें एयर इंडिया की तरह से खेलने का मौका दिया. ललित को बस इसी मौके का इंतजार था. साल 2012 में उन्हें हॉकी वर्ल्ड सीरीज टूर्नामेंट में ‘रूकी ऑफ द इयर’ चुना गया था. इसके दो साल बाद ही उन्होंने 2014 में सीनियर टीम में डेब्यू किया. इसके बाद साल 2016 और 2018 में वह एशियन चैंपियंस ट्रॉफी की विजेता टीम का भी हिस्सा रहे. ग्राहम रीड के कोच रहते हुए वह टीम की फ्रंटलाइन का अहम हिस्सा बने और आज टोक्यो ओलिंपिक के लिए भी टीम का अहम हिस्सा हैं.

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