मौसम के हिसाब से सेहत की देखभाल अलग-अलग तरीकों से की जाती है। सिर्फ सर्दियों में ही नहीं, गर्मियों के मौसम में भी त्वचा समेत कई स्वास्थ्य समस्याओं में कारगर साबित होती है मड थेरेपी। इसके बारे में बता रही हैं मोनिका अग्रवाल
मड में ठंडा करने के गुण होते हैं। इसलिए आप गर्मियों में मड थेरेपी ले सकते हैं। इसके लिए मुलतानी मिट्टी का भी इस्तेमाल किया जाता है। पुराने समय में बहुत से रोगों को दूर करने के लिए मड थेरेपी का प्रयोग होता था। अब बदलते वक्त के साथ इस थेरेपी का चलन और बढ़ गया है।
एक्ने और मुहांसे : मड थेरेपी एक बहुत अच्छी डीटॉक्सिफाइंग थेरेपी है। यह चेहरे को डीटॉक्स कर रोम छिद्रों को बंद करने में सहायक है। यदि हम मुलतानी मिट्टी के पेस्ट में नीम की पत्तियों का पेस्ट मिला लें और फिर चेहरे पर लगाएं, तो मुहांसों से छुटकारा मिलता है और त्वचा चमकदार हो जाती है।
पाचन और कब्ज : पेट के निचले हिस्से पर मड पैक लगाने से पाचन में सुधार होता है। यह थेरेपी आंतों की गर्मी को कम करने में बहुत सहायक है। यह कब्ज की शिकायत को दूर करने में अहस भूमिका निभाती है। यदि अत्यधिक गैस, एसिडिटी की शिकायत है या फिर पेट में अकसर दर्द रहता है, तो यह प्राकृतिक उपचार फायदेमंद है।
डीहाइड्रेशन : विशेषज्ञों के अनुसार यदि 8 से 10 बार दस्त हो जाएं तो मड पैक पेट के ऊपर लगाने से फायदा होता है। उल्टियां हो रही हों,तो पैक को छाती पर लगाने से आराम मिलता है।
रूखी त्वचा : रूखी त्वचा या त्वचा के ढीलेपन से परेशान हैं, तो मड थेरेपी कारगर उपाय है। यदि मड पैक में थोड़ा-सा ट्रीटी तेल मिला लिया जाए, तो यह थेरेपी तुरंत आराम पहुंचाती है और आप तरोताजा महसूस करेंगे। यह एंटी बैक्टीरियल और एंटी र्एंजग का भी काम करती है।
आंखों के लिए : यदि आंखों में सूजन और पानी आने जैसी समस्या है, तो आंखों पर मड पैक लगाएं, आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलेगा। इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ सकती है।
एग्जिमा : एग्जिमा का इलाज है मड बाथ। इसमें गुलाब जल या कपूर मिलाकर पूरे शरीर पर लगाया जाता है और उसके बाद कंबल से ढका जाता है। एक घंटे बाद व्यक्ति को शावर बाथ कराया जाता है। मिट्टी की स्वाभाविक प्रवृत्ति ठंडी और एंटी टॉक्सिक व डीटॉक्सिफाइंग होने के कारण यदि हम साबुन की जगह मड (मुल्तानी मिट्टी, चिकनी मिट्टी) का प्रयोग करते हैं, तो वह काफी फायदेमंद साबित होती है।
एलर्जी : सोरायसिस और स्किन एलर्जी होने पर नीम का तेल, कपूर, मेथी दाना पाउडर आदि को मड में मिलाकर बालों एवं त्वचा पर लगाने से तुरंत आराम मिलता है। मुलतानी या साफ-सुथरी काली मिट्टी को 12 घंटे भिगोकर फिर उस मिट्टी में एक ग्राम कपूर मिलाकर इसकी मसाज करने से खाज-खुजली की समस्या दूर होती है।
तनाव और बुखार : नेचुरोपैथी में मड थेरेपी से लकवा, गठिया, मोटापा, जोड़ और सिर दर्द जैसी कई बीमारियां ठीक करने का दावा किया जा रहा है। बीमारी के अनुसार 15 से 40 मिनट तक रोजाना मड थेरेपी लेने से आराम मिलता है। अधिक तनाव के कारण कई बार सिर दर्द करने लगता है। ऐसे में मड पैक को माथे पर लगाने से आराम मिलता है। चाहे तो यह पैक सिर में भी लगा सकते हैं। बुखार से राहत पाने के लिए मड पैक को पेट के साथ माथे पर लगाया जा सकता है।
फेफड़ों के लिए : फेफड़ों से संबंधित रोगों में बालू मिट्टी को गर्म कर पोटली बना कर धीरे-धीरे सीने पर सेक करने से आराम मिलता है। खांसी, निमोनिया, कफ, दमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों में यह थेरेपी आराम देती है। गर्म या ठंडे मौसम और रोग की स्थिति के अनुसार गीली चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है।
ध्यान रखें
मिट्टी की पट्टी लेने के 20 मिनट बाद हल्का आहार लेना चाहिए और 45 मिनट बाद ठोस आहार ले सकते हैं। मड थेरेपी लेने की अवधि कम-से-कम 30 मिनट और अधिकतम एक घंटे होनी चाहिए।
(ऑर्गेनिक ग्रींस एंड बॉटैनिकल नेचुरोपैथी की स्किन एंड हेयर केयर एक्सपर्ट तेजस्विर्नी ंसह से की गई बातचीत पर आधारित)