Friday, November 8, 2024
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कोरोना काल में बिना ‘मास्क’ पकड़े जाने पर जेल-जुर्माना और कौन काट सकता है चालान? जानिए सब कुछ

कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन हो या फिर घर के बाहर किसी सार्वजनिक स्थान पर ‘बिना मास्क’ पकड़ जाने के लिए सख्त कानून है. देश में जहां भी कोरोना फैला हुआ है वहां महामारी अधिनियम (Epidemic Diseases Act, 1897) लागू है और इस कानून के पालन में कोताही बरतने वालों की खैर नहीं है. पिछले कई दिनों से आम लोगों के मन में यह धारणा घर कर गई है कि बिना मास्क के पकड़े जाने पर पुलिस के अलावा कोई और चालान नहीं काट सकता है. आज हम आपके इस संशय को दूर करेंगे…

महामारी अधिनियम लागू रहने तक आईपीसी की धारा-188 के तहत कई कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं. यह कदम पुलिस अथवा विशेष न्यायिक अधिकार प्राप्त अधिकारी की ओर से उठाए जा सकते हैं. उदाहरण के लिए देश की राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो यहां पुलिस के अलावा दिल्ली सरकार ने हर रेवन्यू जिला वार सब-डिवीजन या जोन बनाए हैं. हर जोन या डिवीजन की जिम्मेदारी एसडीएम और उनके नीचे कार्यरत एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारी को दी गई है. इन एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के अधीन दिल्ली सरकार ने राजकीय शिक्षकों को नियुक्त किया है. इन शिक्षकों को सरकार ने बाकायदा ‘विशेष न्यायिक अधिकार’ (जुडीशियल पॉवर) दे रखे हैं. दिल्ली सरकार ने विशेष न्यायिक अधिकार प्राप्त शिक्षकों (इंफोर्समेंट अफसर) को धारा-188 के तहत चालान काटने के लिए प्राधिकृत किया है.

पुलिस-इंफोर्समेंट अफसर दोनों में फर्क

पुलिस और इंफोर्समेंट अफसर दोनों ही कानूनी रूप से आईपीसी की धारा-188 के तहत कानूनी कदम उठाने और ‘बिना मास्क’ पहने या फिर भीड़ इकट्ठी (कोरोना काल में) करने वालों के चालान काटने के लिए अधिकृत हैं. अगर दोनों की कार्य-प्रणाली की बात की जाए तो ‘इंफोर्समेंट अफसर’ चालान काटकर मौके पर ही आरोपी से जुर्माना वसूल करने का अधिकार रखते हैं. कोई आरोपी मौके पर जुर्माना राशि अदा नहीं कर पाता है या फिर कानूनी कार्यवाही में अड़चन डालता है तो इंफोर्समेंट अफसर विशेष न्यायिक अधिकार प्राप्त होने के बाद भी आईपीसी की धारा-188 के तहत आरोपी के खिलाफ खुद मुकदमा दर्ज नहीं कर सकता है.

आपराधिक मामला या मुकदमा थाने में दर्ज कराने के लिए इंफोर्समेंट अफसर की रिपोर्ट पर आगे की जिम्मेदारी इलाके के एसडीएम ऑफिस को निभानी होती है. इसके ठीक विपरीत पुलिस अफसर इन परिस्थितियों में खुद ही थाने में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का कानूनी अधिकार रखते हैं.

‘बिना मास्क’ कितना है चालान

दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि बिना मास्क सार्वजनिक स्थल पर पकड़े जाने पर 2 हजार रुपए का चालान होगा. चालान न भर पाने की स्थिति में आईपीसी की धारा-188 के तहत कानूनी कदम संबंधित एजेंसी या विशेष कानूनी अधिकार प्राप्त अधिकारी उठा सकते हैं. कार या किसी भी अन्य वाहन में अथवा किसी भी सार्वजनिक स्थल पर अगर कोई अकेले भी बिना मास्क पकड़ा जाता है, तो उसे भी 2 हजार रुपए का जुर्माना भरना होगा. कार में अगर चार लोग यात्रा कर रहे हैं और दो लोगों ने मास्क लगाया है और दो बिना मास्क बैठे हुए हैं, तो बिना मास्क लगाए हुए दो लोगों का मौके पर ही चालान काटे जाने का कानूनी प्राविधान है.

कौन नहीं काट सकता चालान

दिल्ली में तैनात एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स को चालान काटने का अधिकार नहीं है. यह लोग मौके पर चालान काट रहे प्रवर्तन अधिकारी (इंफोर्समेंट अफसर) के ग्राउंड पर मदद करते हैं.’ दूसरी ओर दिल्ली पुलिस के मुख्य प्रवक्ता और डीसीपी (क्राइम एंड नारकोटिक्स) चिन्मय बिस्वाल कहते हैं, ‘बिना मास्क पकड़े जाने वालों के चालान दिल्ली में ट्रैफिक पुलिस नहीं काट रही है. यह काम थाने-चौकी (सिविल पुलिस) के जिम्मे है.’

IPC की धारा-188 को हल्के में न लें

आईपीसी की धारा-188 के तहत अगर कोई आरोपी जुर्माना राशि का नकद भुगतान करने में असमर्थ है तो उसे दिल्ली में कुछ इलाकों के एसडीएम दफ्तर में जुर्माना राशि जमा करने के लिए तीन दिन का वक्त दिया जाता है. कुछ जिलों में रिपोर्ट उसी दिन सीधे इलाका एसडीएम के यहां भेज दी जाती है. इसके बाद भी अगर कोई आरोपी जुर्माना नहीं भरता है, तो इलाका एसडीएम आरोपी के खिलाफ थाने में आईपीसी की धारा-188 के तहत मुकदमा दर्ज कराने की प्रक्रिया अमल में लाने के लिए स्वतंत्र हैं.

कानून का उल्लंघन करने पर आरोपी को जेल भी जाना पड़ सकता है

1897 के महामारी अधिनियम के सेक्शन-3 में इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर कोई शख्स इसके प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो आरोपी को आईपीसी (IPC) की धारा-188 के तहत दंडित किया जाएगा. धारा-188 के तहत सजा के दो प्रावधान हैं. पहला प्राविधान, अगर आप सरकार या किसी सरकारी अधिकारी द्वारा कानूनी रूप से दिए गए आदेश का पालन नहीं करते हैं या फिर आपकी किसी हरकत से कानून व्यवस्था में लगे शख्स को नुकसान पहुंचता है, तो आरोपी को कम से कम 1 महीने की जेल या 200 रुपए जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है. दूसरा, अगर आरोपी द्वारा सरकार के आदेश का उल्लंघन किए जाने से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा आदि को खतरा होता है, तो उसे इसी धारा-188 के तहत कम से कम 6 महीने की जेल की सजा या 1000 रुपए जुर्माना अथवा दोनों मुकर्रर की सकती हैं.

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