जब भी आप पेट्रोल भरवाने फ्यूल स्टेशन पर जाते हैं तो आपने देखा होगा कि वहां कई तरह के पेट्रोल मिलते हैं. इन पेट्रोल के भाव भी काफी अलग अलग होते हैं. अब सवाल है कि इन पेट्रोल में क्या अंतर होता है और यह गाड़ी पर किस तरह से असर डालते हैं. अक्सर लोगों के सवाल होते हैं कि आखिर प्रीमियम पेट्रोल में ऐसा क्या अलग होता है कि इसके ज्यादा पैसे लिए जाते हैं. आज हम आपको बताते हैं कि आखिर किस तरह से रेग्युलर पेट्र्रोल और नॉर्मल पेट्रोल में क्या अंतर होता है.
आपको पता दें कि भारत में सामान्य तौर पर तीन तरह के पेट्रोल मिलते हैं. इसमें एक तो नॉर्मल पेट्रोल होता है और दूसरा प्रीमियम पेट्रोल होता है. इसके अलावा हाइ ऑक्टेन पेट्रोल भी होता है. वैसे प्रीमियम पेट्रोल को पावर, स्पीड और एक्स्ट्रा माइल, हाई स्पीड जैसे नाम से जाना जाता है. यह नाम तो हर कंपनी के आधार पर अलग तय होते हैं. ऐसे में जानते हैं कि इनमें क्या अंतर होता है और गाड़ी पर इसका क्या असर होता है…
नॉर्मल और पावर पेट्रोल में क्या है अंतर?
अगर नॉर्मल और पावर पेट्रोल की बात करें तो पावर पेट्रोल एक तरह से प्रीमियम पेट्रोल है और दूसरा सामान्य पेट्रोल होता है. इन दोनों पेट्रोल में प्रमुख अंतर ये होता है कि प्रीमियम या पावर पेट्रोल में ऑक्टाइन की मात्रा काफी ज्यादा होती है. पेट्रोल पंप पर जो अलग-अलग तरह के पेट्रोल मिलते हैं, वे ऑक्टाइन की मात्रा के आधार पर विभाजित होती है. अगर रेग्युलर पेट्रोल की बात करें तो इसमें ऑक्टाइन की रेटिंग 87 तक होती है, जबकि मिड ग्रेड पेट्रोल में ये मात्रा 88 से 90 तक होती है. इसके अलावा जो सबसे अच्छा पेट्रोल होता है, उसमें 91 से 94 तक ऑक्टाइन की रेटिंग होती है.
ऑक्टाइन से क्या होता है असर?
दरअसल, जिस पेट्रोल में ज्यादा ऑक्टाइन होता है, वो इंजन में इंजन-नौकिंग और डेटोनेटिंग को कम कर देता है. इंजन-नौकिंग और डेटोनेटिंग एक मैकेनिकल टर्म हैं, जिससे इंजन से आने वाली आवाज नियंत्रित होती है. वैसे ऐसा नहीं है कि हर गाड़ी में हाई ऑक्टाइन पेट्रोल फायदेमंद होता है. यह उन गाड़ियों के लिए सही रहता है, जिन कारों में हाई कम्प्रेशन सिस्टम होता हैं. ऑक्टाइन से इंजन को पूरी क्षमता से काम करने में मदद मिलती है, जिससे गाड़ी मालिक को काफी फायदे होते हैं. इसके लिए आपको लगातार लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करना होगा.
प्रीमियम फ्यूल के क्या हैं फायदे
प्रीमियम फ्यूल के फायदों की बात करें तो इससे फ्यूल इकोनॉमी में बढ़ोतरी होती है. इससे इंजन अच्छे से काम करता है और इंजन को ज्यादा फ्यूल की आवश्यकता नहीं होता है. साथ ही गाड़ी की स्पीड और पावर पर इसका असर पड़ता है. जब आप पावर पेट्रोल का उपयोग करते हैं, तो यह सीधे इंजन की दस्तक को कम करता है और ईंधन की शक्ति वाहन की ताकत को प्रभावित करती है.